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सरोकारों से साक्षात्कार

लेखक गांव में उत्तराखंड के साहित्यकारों पर केंद्रित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी

राष्ट्रीय संगोष्ठी में साहित्य संरक्षण पर दिया गया सशक्त संदेश

लेखक गांव, देहरादून में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा कि जो समाज अपने साहित्य और साहित्यकारों को भूल जाता है, वह अपनी सांस्कृतिक पहचान खो देता है और कभी गौरव हासिल नहीं कर सकता।

इस संगोष्ठी का आयोजन उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान और लेखक गांव के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। इसका मूल उद्देश्य उत्तराखंड के महान साहित्यकारों के योगदान को सामने लाना और आने वाली पीढ़ी को अपनी साहित्यिक विरासत से जोड़ना रहा।

डॉ. निशंक ने कहा कि उत्तराखंड के साहित्यकारों ने न सिर्फ राज्य का बल्कि पूरे देश के हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है। उन्होंने साहित्य को समाज की आत्मा बताया और कहा कि इसके संरक्षण के बिना कोई भी समाज आगे नहीं बढ़ सकता।

लेखक गांव पहल

उन्होंने बताया कि लेखक गांव देश की विभिन्न भाषा अकादमियों और साहित्यिक संस्थाओं के साथ समझौते कर रहा है, जिससे साहित्य से जुड़े सभी संस्थानों को एक साझा मंच पर लाया जा सके।

कुलपति वक्तव्य

उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी ने कहा कि साहित्यिक संस्थाओं और विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग से शोध, अध्ययन और अकादमिक गतिविधियों को नई दिशा मिल सकती है।

उत्तराखंड साहित्य की पहचान

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में जन्मे साहित्यकारों ने हिंदी साहित्य को जिस ऊंचाई पर पहुंचाया है, उसका दूसरा उदाहरण दुर्लभ है।

साहित्यिक मानचित्रण पर जोर

मुख्य वक्ता और नैनीताल के जिलाधिकारी ललित मोहन आर्य ने उत्तराखंड की लिटरेरी मैपिंग की जरूरत पर बल दिया और कहा कि लेखकों का वैज्ञानिक दस्तावेजीकरण जरूरी है।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. दिनेश शर्मा और डॉ. भारती मिश्रा ने संयुक्त रूप से किया।

अंतिम सत्र में आयोजित कवि सम्मेलन में कई कवियों ने अपनी रचनाओं से माहौल को साहित्यिक ऊर्जा से भर दिया।

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https://youtu.be/0DniHzFeUhE?si=zJ0QzqfTCgEFkBA6
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