भारतीय रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में भारतीय नौसेना को हाल ही में दो स्वदेशी तकनीक से बनी उन्नत तोपें सौंपा गया।
यह विकास ‘मेक इन इंडिया’ पहल के अनुरूप है और देश की रक्षा उत्पादन क्षमता को दर्शाता है। इन तोपों की तैनाती से नौसेना की युद्धक क्षमता में वृद्धि होगी, जिससे भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा और समुद्री हितों की रक्षा और अधिक प्रभावी ढंग से की जा सकेगी।
यह पहल भारतीय नौसेना की आक्रामक और रक्षात्मक दोनों प्रकार की क्षमताओं को नई ऊँचाई पर ले जाएगी।
स्वदेशी तोपों का परिचय
एडवांस्ड वेपन्स एंड इक्विपमेंट्स इंडिया लिमिटेड की इकाई, फील्ड गन फैक्ट्री द्वारा निर्मित ये तोपें 19 किलोमीटर की रेंज तक काम कर सकती हैं और प्रति मिनट 120 राउंड फायर करने में सक्षम हैं।
यह तोपें न केवल दुश्मन के जहाजों पर हमला कर सकती हैं, बल्कि भूमि और वायु लक्ष्यों को भी निशाना बनाने में सक्षम हैं। इनके बहुमुखी उपयोग से नौसेना को विभिन्न युद्ध परिस्थितियों में मजबूती मिलेगी।
स्वदेशी एसआरजीएम तोपों की विशेषताएँ:
- उच्च फायरिंग दर: ये तोपें प्रति मिनट 120 से 150 राउंड तक फायर कर सकती हैं, जिससे दुश्मन के हमलों का प्रभावी मुकाबला संभव होता है।
- मल्टी-टारगेट हैंडलिंग: इन तोपों में एक साथ कई लक्ष्यों को निशाना बनाने की क्षमता है।
- स्वचालित लोडिंग प्रणाली: यह प्रणाली फायरिंग प्रक्रिया को तेज और कुशल बनाती है।
- मॉड्यूलर डिजाइन: विभिन्न प्रकार के युद्धपोतों पर इन्हें आसानी से स्थापित किया जा सकता है।
- स्थानीय निर्माण: यह तोपें भारत में निर्मित हैं, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को साकार करती हैं।
