चंपावत की मंजूबाला और देहरादून के मनीष ममगाईं राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2025 से सम्मानित
राजधानी दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2025 समारोह में उत्तराखंड के दो शिक्षकों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सम्मानित किया।
चंपावत जिले की प्रधानाध्यापिका डॉ. मंजूबाला और NSTI देहरादून के ट्रेनिंग ऑफिसर मनीष ममगाईं को शिक्षा और कौशल विकास में उत्कृष्ट योगदान के लिए यह पुरस्कार प्रदान किया गया।
राष्ट्रपति का संबोधन
राष्ट्रपति मुर्मु ने शिक्षकों की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि विद्यार्थियों के दिलों में हमेशा याद रहना ही शिक्षकों का सबसे बड़ा पुरस्कार है। उन्होंने कहा, “शिक्षा भी भोजन, वस्त्र और आवास की तरह अनिवार्य है। संवेदनशील शिक्षक बच्चों में गरिमा और सुरक्षा की भावना जगाते हैं।”
उन्होंने बालिकाओं की शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के जरिए भारत को ग्लोबल नॉलेज सुपरपावर बनाने पर जोर दिया।
मंजूबाला की उपलब्धियां
चंपावत जिले के च्यूरानी प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका डॉ. मंजूबाला पिछले डेढ़ दशक से बच्चों को पढ़ा रही हैं। 2011 में उन्होंने जिले का पहला अंग्रेजी माध्यम स्कूल शुरू कराया। वे
बच्चों को हिंदी-अंग्रेजी के साथ कुमाऊंनी भाषा भी सिखाती हैं। उनके प्रयासों से कई ग्रामीण छात्राओं ने शिक्षा की मुख्यधारा में कदम रखा। मंजूबाला को पहले भी शैलेश मटियानी पुरस्कार, तीलू रौतेली पुरस्कार और टीचर ऑफ द ईयर जैसे सम्मान मिल चुके हैं।
मनीष ममगाईं का योगदान
NSTI देहरादून के ट्रेनिंग ऑफिसर मनीष ममगाईं कौशल विकास के क्षेत्र में नवाचार और निष्ठा के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स मैकेनिक ट्रेड में सैकड़ों युवाओं को प्रशिक्षित किया है।
ISRO, DRDO और कई उद्योगों के साथ साझेदारी में उन्होंने युवाओं को रिस्किलिंग और अपस्किलिंग के अवसर उपलब्ध कराए।
पुरस्कार का महत्व
राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के तहत चयनित शिक्षकों को प्रमाण पत्र, 50 हजार रुपये की धनराशि और एक मेडल प्रदान किया जाता है। इस वर्ष देशभर से 45 शिक्षकों को यह सम्मान मिला।












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