लोक संस्कृति, पारंपरिक वाद्य और रंग-रंगीले लोकगीतों के संग देहरादून दो दिनों तक पहाड़ी संस्कृति की धुनों में डूबेगा।
हरिद्वार बाईपास स्थित सोशल बलूनी स्कूल में 29 व 30 नवंबर को दो दिवसीय भव्य लोक विरासत का आयोजन किया जा रहा है।
इस कार्यक्रम में पहाड़ी लोकगीत, लोकनृत्य, घुघुतिया गीत, झोड़ा-छपेली, ढोल-दमुआ की थाप, पारंपरिक वेशभूषा और प्रदेशभर के कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे।
उत्तराखंड की लोकपरंपराओं, परिधान, खान–पान और वाद्यों की समृद्ध झलक पेश की जाएगी।
‘लोक विरासत – 2025’ का उद्देश्य
चारधाम अस्पताल के एमड़ी डॉ केपी जोशी बताते हैं कि अपनी जड़ों, परंपराओं और लोककला को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना और राज्य की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करना ही इस कार्यक्रम का उद्देश्य है।

















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