भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर यह त्यागपत्र सौंपा। धनखड़ ने अपने इस्तीफे का कारण स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को बताया और डॉक्टरों की सलाह के अनुसार यह निर्णय लिया।
विस्तार
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा 21 जुलाई 2025 की शाम को स्वीकार कर लिया गया। उन्होंने अपने त्यागपत्र में स्पष्ट किया कि वह पिछले कुछ समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे और चिकित्सकीय सलाह के अनुसार उन्हें पद से मुक्त होना आवश्यक था।
धनखड़ ने अपने पत्र में राष्ट्रपति मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए लिखा कि उन्होंने देश की सेवा के इस कार्यकाल को सम्मान और समर्पण के साथ पूरा किया।
संविधान में यह व्यवस्था
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67(a) के अनुसार, उपराष्ट्रपति किसी भी समय राष्ट्रपति को संबोधित पत्र देकर अपना त्यागपत्र दे सकते हैं। त्यागपत्र स्वीकृत होते ही पद रिक्त हो जाता है।
वहीं, अनुच्छेद 68(2) यह स्पष्ट करता है कि उपराष्ट्रपति के पद की रिक्ति होने पर, चाहे वह मृत्यु, इस्तीफा, या अन्य किसी कारण से हो, तो उस पद को जल्द से जल्द भरा जाना आवश्यक है।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि उपराष्ट्रपति भारत के राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं। उनके इस्तीफे के बाद, जब तक नया उपराष्ट्रपति पद ग्रहण नहीं करता:
राज्यसभा की अध्यक्षता उपसभापति करेंगे, या फिर राष्ट्रपति द्वारा अधिकृत कोई अन्य सदस्य यह भूमिका निभाएगा। संविधान में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जब उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं, या पद रिक्त होता है, तब वे राज्यसभा सभापति के कार्यों का निर्वहन नहीं कर सकते।
ऐसे होगा चुनाव
अब उपराष्ट्रपति के स्थान को भरने के लिए चुनाव की प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जाएगी। अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सदस्यों से मिलकर बने निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है।
यह चुनाव विशेष आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत, एकल संक्रमणीय मत प्रणाली (Single Transferable Vote) से होता है।
नव निर्वाचित उपराष्ट्रपति अपने पदभार ग्रहण की तिथि से 5 वर्षों तक पद पर बने रहेंगे।

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