कचरे के स्रोत पर ही अलग करना पर्यावरण के लिए जरूरी : सुप्रीम कोर्ट

स्मार्ट सिटि के लिए कचरा प्रबंधन है जरूरी

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार, 24 फरवरी को कहा कि कचरा जहां से निकल रहा है, वहीं पर उसे अलग करना पर्यावरण के लिए जरूरी है। कोर्ट ने NCR में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट ऐक्ट के अमल पर रिपोर्ट मांगी है। 

न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा, 2016 के नियमों का पालन न करने से देश के सभी शहर प्रभावित हुए है। न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के राज्यों से ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम-2016 के अनुपालन के बारे में भी पूछा।

शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा, एक आदेश में हमने पाया है कि सभी स्मार्ट सिटी परियोजनाएं प्रगति पर है। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमों के अनुपालन के बिना शहर स्मार्ट कैसे बन सकते है? राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दिल्ली के अलावा हरियाणा, यूपी, राजस्थान के कुछ जिले शामिल है।

अदालत ने कहा, यदि कचरे को सही तरीके से अलग नहीं किया गया, तो कचरे से ऊर्जा बनाने वाली परियोजनाएं भी प्रदूषण पैदा करेंगी। प्रदूषण मामले में न्यायमित्र एवं वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिह ने एनसीआर में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का उल्लेख किया तथा कम मात्रा में अपशिष्ट को अलग किए जाने पर चिता जताई।

अपराजिता सिंह ने कहा, अपशिष्ट को अलग-अलग न करके उसे सीधे अपशिष्ट से ऊर्जा बनाने वाले संयंत्रों में भेजने से प्रदूषण बढ़ता है। शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा, जैसा कि न्यायमित्र ने सही कहा है, कचरे के स्रोत पर ही उसका पृथक्करण पर्यावरण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

यदि उचित पृथक्करण नहीं होगा, तो अपशिष्ट से ऊर्जा बनाने वाली परियोजनाएं भी अधिक प्रदूषण पैदा करेंगी। एनसीआर राज्यों को सभी शहरी स्थानीय निकायों द्वारा 2016 के नियमों के प्रावधानों के अनुपालन के संबंध में हलफनामा दायर करने का आदेश दिया गया।

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