नवरात्रों के प्रथम दिन भगवती दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा-अर्चना

लक्ष्मण सिंह नेगी

केदार घाटी के सभी शक्तिपीठों में शारदीय नवरात्रों के प्रथम दिन भगवती दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा-अर्चना की गयी। शारदीय नवरात्रों के प्रथम दिन ही सभी शक्तिपीठों में भक्तों की भारी भीड़ रही। विद्वान आचार्यों की वेद ऋचाओं, भक्तों की जयकारों तथा महिलाओं के धार्मिक भजनों से सभी शक्तिपीठों का वातावरण भक्तिमय बना हुआ है।

शारदीय नवरात्रों के प्रथम दिन सिद्धपीठ कालीमठ, कोटी माहेश्वरी, चामुण्डा देवी, काली शिला, राकेश्वरी मन्दिर, राजराजेश्वरी मन्दिर सहित सभी शक्तिपीठों में सैकड़ों भक्तों ने पूजा-अर्चना कर मनौती मांगी तथा विश्व समृद्धि व क्षेत्र के खुशहाली की कामना की। पावन पतित सरस्वती नदी के किनारे बसे सिद्धपीठ कालीमठ में भी सैकड़ों भक्तों ने पूजा-अर्चना कर विश्व समृद्धि व क्षेत्र के खुशहाली की कामना की है।

सिद्धपीठ कालीमठ व कोटि माहेश्वरी तीर्थ में प्रति दिन सैकड़ों भक्तों की आवाजाही होने से कालीमठ घाटी के विभिन्न हिल स्टेशनों पर रौनक बनी हुई है। कालीमठ मन्दिर के प्रबन्धक प्रकाश पुरोहित ने बताया कि शारदीय नवरात्रे के प्रथम दिन सैकड़ों भक्तों ने सिद्धपीठ कालीमठ में पूजा-अर्चना कर मनौती मांगी।

उन्होंने बताया कि कालीमठ तीर्थ में भगवती दुर्गा के तीनों रुपों की पूजा होने से श्रद्धालुओं को मनौवाछित फल की प्राप्ति होती है। बताया कि मन्दिर समिति व विभिन्न क्षेत्रों के भक्तों के सहयोग से कालीमठ तीर्थ को भव्य रूप से सजाया गया है।

वेदपाठी रमेश चन्द्र भटट ने बताया कि सिद्धपीठ कालीमठ तीर्थ में भगवती दुर्गा के महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती तीनों रूपों की पूजा एक साथ होने से महाकाली तीर्थ में पूजा का अधिक महत्व है। पण्डित दिनेश चन्द्र गौड़ ने बताया कि सिद्धपीठ कालीमठ में युगों से प्रज्ज्वलित धुनी की भस्म धारण करने से मनुष्य को सभी सुखों की प्राप्ति होती है। उन्होंने बताया कि केदारखण्ड में सिद्धपीठ कालीमठ तीर्थ की महिमा का विस्तृत वर्णन किया गया है।

मठापति अब्बल सिंह राणा ने बताया कि सिद्धपीठ कालीमठ में सभी भक्तों को मनौवाछित फल की प्राप्ति होती है तथा सिद्धपीठ कालीमठ में वर्ष भर भक्तों की आवाजाही लगी रहती है। भगवती काली के परम भक्त देवानन्द गैरोला ने बताया कि सिद्धपीठ कालीमठ पतित पावन सरस्वती नदी के किनारे पर विराजमान है तथा सिद्धपीठ कालीमठ में भगवती के तीनों स्वरूपों की पूजा की जाती है।

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