पांच वर्षों बाद श्रद्धालुओं को फिर मिलेगा शिवधाम का दर्शन
कोविड-19 महामारी के कारण पांच वर्षों से स्थगित कैलाश मानसरोवर यात्रा वर्ष 2025 में एक बार फिर से शुरू की जा रही है।
उत्तराखंड सरकार और भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के संयुक्त प्रयासों से यह पवित्र यात्रा 30 जून से आरंभ होगी, जबकि पहले दल का प्रस्थान 10 जुलाई को होगा।
इस बार यात्रा का संचालन उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित लिपुलेख दर्रे के माध्यम से किया जाएगा। यह दर्रा समुद्र तल से लगभग 17,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और यहीं से होकर श्रद्धालु चीन के तिब्बत क्षेत्र में प्रवेश करेंगे।
कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) इस यात्रा का प्रशासनिक संचालन करेगा। यात्रा में 50-50 यात्रियों के पांच दल भेजे जाएंगे, जिससे कुल 250 श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन कर सकेंगे।
हर दल की यात्रा लगभग 22 दिनों की होगी। यात्रा का मार्ग दिल्ली से शुरू होकर टनकपुर, धारचूला, गुंजी और नाभीढांग होते हुए लिपुलेख से चीन के तकलाकोट क्षेत्र में प्रवेश करेगा। वहां से श्रद्धालु मानसरोवर झील और कैलाश पर्वत की परिक्रमा करेंगे।
श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा व्यापक इंतजाम किए गए हैं। यात्रा मार्ग में ठहराव के स्थलों पर बेहतर आवास, भोजन, चिकित्सा सुविधा और संचार व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। विशेष डाइट प्लान और ऊंचाई पर चढ़ाई में सहयोग करने वाले गाइड्स की भी व्यवस्था की जा रही है।
धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व
कैलाश पर्वत को हिन्दू धर्म में भगवान शिव का निवास स्थान माना गया है। यह पर्वत न केवल हिन्दुओं, बल्कि जैन, बौद्ध और बोंपों के लिए भी अत्यंत पवित्र स्थल है।
मानसरोवर झील को पवित्रता और आध्यात्मिकता का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि इस झील का जल इतना शुद्ध है कि इसके दर्शन मात्र से पाप नष्ट हो जाते हैं।
कैलाश मानसरोवर यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत-चीन के सांस्कृतिक और कूटनीतिक संबंधों में भी एक विशेष स्थान रखती है। यह यात्रा दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग का उदाहरण भी है।
पांच वर्षों के लंबे इंतजार के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा का फिर से शुरू होना श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत हर्ष का विषय है। यह न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करने वाली यात्रा है, बल्कि जीवन में साहस, धैर्य और आस्था की परीक्षा भी है।
इच्छुक श्रद्धालु केएमवीएन की वेबसाइट या विदेश मंत्रालय के पोर्टल के माध्यम से पंजीकरण कर सकते है।