- राज्यपाल ने अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक को दी मंजूरी
- अब सभी मदरसे उत्तराखंड बोर्ड से संबद्ध होंगे
- देश का पहला राज्य बना उत्तराखंड
राज्यपाल की मंजूरी के साथ उत्तराखंड में मदरसा बोर्ड अब समाप्त होने जा रहा है। नई व्यवस्था के तहत राज्य के सभी मदरसों को अब उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण से मान्यता लेनी होगी और उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद से संबद्ध होना अनिवार्य होगा।
इस निर्णय के साथ उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य बन जाएगा, जहाँ मदरसा बोर्ड को समाप्त कर अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को मुख्यधारा की शिक्षा प्रणाली से जोड़ा जाएगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह कदम राज्य की शिक्षा व्यवस्था को समान, आधुनिक और पारदर्शी बनाने की दिशा में ऐतिहासिक है।
जुलाई 2026 से लागू होगी नई शिक्षा व्यवस्था
जुलाई 2026 सत्र से सभी अल्पसंख्यक विद्यालयों में राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा (NCF) और नई शिक्षा नीति (NEP-2020) लागू की जाएगी। सरकार का उद्देश्य है कि प्रदेश का हर बच्चा चाहे वह किसी भी वर्ग या समुदाय का हो, समान शिक्षा और समान अवसरों के साथ आगे बढ़े।
इस कानून के लागू होने के बाद राज्य के सभी मदरसों को अब उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण से मान्यता लेनी होगी।
साथ ही, उन्हें उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद से संबद्ध होकर मुख्यधारा की शिक्षा व्यवस्था में शामिल होना पड़ेगा।
राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह कदम अल्पसंख्यक छात्रों को समान अवसर और राष्ट्रीय स्तर की गुणवत्ता शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से उठाया गया है।
विधेयक के तहत गठित किया जाने वाला अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण राज्य में अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों की मान्यता, निगरानी और नियमन का कार्य करेगा। इससे शिक्षण संस्थानों में गुणवत्ता सुधार के साथ-साथ जवाबदेही भी सुनिश्चित होगी।
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