सोशल मीडिया पर बढ़ा विरोध, पत्रकार संगठनों ने आरोपी अधिकारी पर सख्त कार्रवाई की मांग की—मामला शिक्षा मंत्री और सीएम कार्यालय तक पहुंचा
उत्तराखंड शिक्षा विभाग में तैनात एक वरिष्ठ अधिकारी पर महिला पत्रकार के साथ कथित दुर्व्यवहार के आरोप सामने आने के बाद मामले ने तेज़ी से तूल पकड़ लिया है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रारम्भिक शिक्षा निदेशक अजय कुमार नौडियाल के खिलाफ व्यापक नाराजगी देखने को मिल रही है, जहां उपयोगकर्ता उनके व्यवहार को “अस्वीकार्य” और “पद के दुरुपयोग” के रूप में वर्णित कर रहे हैं।
वायरल हो रहे एक पोस्ट में दावा किया गया है कि अधिकारी ने एक महिला पत्रकार से बातचीत के दौरान अनुचित और अपमानजनक रवैया अपनाया। पोस्ट में यह सवाल उठाया गया है कि जिम्मेदार पद पर बैठे अधिकारी पत्रकारों विशेषकर महिला पत्रकारों के साथ इस तरह का व्यवहार कैसे कर सकते हैं।
इस पोस्ट के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर विरोध की लहर दौड़ गई है और उपयोगकर्ता लगातार कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
घटना के बाद पत्रकार संगठनों ने अधिकारी के खिलाफ नाराजगी जताते हुए कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में मीडिया की स्वतंत्रता और महिला पत्रकारों की सुरक्षा सर्वोपरि है।
संगठनों ने मांग की है कि सरकार तुरंत हस्तक्षेप करे और आरोपी के खिलाफ सख्त कदम उठाए। पत्रकार समुदाय ने चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि जल्द कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो राज्यव्यापी विरोध-प्रदर्शन किए जाएंगे।
विरोध बढ़ने के बाद मामला शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के संज्ञान में भी पहुँच गया है। पत्रकार संगठनों ने मंत्री से व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप करने की अपील की है।
वहीं, मुख्यमंत्री कार्यालय को भी घटना से संबंधित जानकारी भेजी जा चुकी है और वहां से भी इस मामले पर रिपोर्ट मांगी गई है। प्रशासन और शासन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि उच्च स्तर पर इस पूरे मामले की समीक्षा की जा रही है।
हालांकि विवाद के बढ़ते स्वरूप के बावजूद शिक्षा विभाग की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। न ही आरोपी अधिकारी की तरफ से किसी प्रकार का स्पष्टीकरण सामने आया है।
इससे विरोध और तेज हो गया है और लोग लगातार इस मामले में पारदर्शी जांच की मांग कर रहे हैं।
फिलहाल शिक्षा विभाग और राज्य सरकार की अगली कार्रवाई पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। पत्रकार संगठनों का कहना है कि इस घटना को उदाहरण बनाते हुए राज्य में महिला पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों।




















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