राज्यों को हाईवे पेट्रोल दल बनाने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य राजमार्गों और अन्य सार्वजनिक सड़कों पर बढ़ती आवारा पशुओं और कुत्तों की समस्या को गंभीरता से लेते हुए 7 नवंबर 2025 को अहम आदेश पारित किया।
अदालत ने सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, नगर निकायों और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को निर्देश दिया है कि वे तत्काल प्रभाव से सड़कों को जानवरों से मुक्त कराएं।
शीर्ष अदालत ने कहा कि आवारा मवेशियों और कुत्तों को सड़कों पर खुला छोड़ देना जन-सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है। इस स्थिति से निपटने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश दिया गया है कि वे विशेष राजमार्ग गश्ती दल (Highway Patrol Units) गठित करें।
ये दल सड़क किनारे घूम रहे आवारा जानवरों को पकड़कर निर्धारित आश्रय गृहों में पहुंचाएंगे, जहाँ उनकी उचित देखभाल की जाएगी।
स्कूल, अस्पताल, बस स्टैंड व रेलवे स्टेशनों से भी हटेंगे आवारा कुत्ते
अदालत ने कहा कि केवल हाईवे ही नहीं, बल्कि हर वह सार्वजनिक स्थान जहाँ आम लोगों की आवाजाही अधिक होती है—जैसे शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल, बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन और अन्य परिसर—वहां से भी आवारा कुत्तों को हटाया जाए।
इन सभी कुत्तों को पंजीकृत आश्रय स्थलों में रखा जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि किसी भी अभियान के दौरान पकड़े गए पशुओं को पुनः उसी स्थान पर छोड़ना बिल्कुल मना होगा। अदालत ने राज्यों को सख्ती से पालन करने को कहा, ताकि समस्या बार-बार लौटकर न आए।
अगस्त 2025 के आदेश की निरंतरता
यह फैसला आवारा पशु प्रबंधन से जुड़े एक लंबे समय से चल रहे मामले का हिस्सा है।
इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2025 में पशु जन्म नियंत्रण (ABC) कार्यक्रम, टीकाकरण, फीडिंग ज़ोन और देखभाल के नियमों पर महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए थे।
अदालत ने दोहराया कि जन सुरक्षा और पशुओं के प्रति मानवीय व्यवहार दोनों की रक्षा करना राज्यों की प्राथमिक जिम्मेदारी है।












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