भारत के जंगलों और वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है।
गुरुवार, 13 नवम्बर को न्यायालय ने देशभर के सभी राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों की सीमाओं से एक किलोमीटर के दायरे में खनन गतिविधियों पर रोक लगाने का आदेश दिया।
अदालत ने स्पष्ट किया कि ऐसी गतिविधियां न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं बल्कि वन्यजीवों के जीवन के लिए भी गंभीर खतरा हैं।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ झारखंड के सरंडा वन्यजीव अभयारण्य और ससांगदाबुरू संरक्षण रिजर्व से जुड़े मुद्दों पर सुनवाई कर रही थी।
बेंच ने कहा: “इस न्यायालय का यह लगातार मत रहा है कि संरक्षित क्षेत्रों से एक किलोमीटर की दूरी के भीतर खनन गतिविधियां वन्यजीवों के लिए खतरनाक होंगी। पहले यह निर्देश गोवा राज्य के लिए दिए गए थे, अब यह पूरे देश में लागू होंगे।”
राज्यों को जारी किए गए निर्देश
कोर्ट ने आदेश दिया कि अब किसी भी राज्य में राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के भीतर या उनकी सीमाओं से एक किलोमीटर की दूरी तक खनन की अनुमति नहीं दी जाएगी।
इसके साथ ही झारखंड सरकार को निर्देश दिया गया कि संबंधित क्षेत्र को वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया जाए और वहां के आदिवासी समुदायों के अधिकारों की रक्षा वन अधिकार अधिनियम के तहत सुनिश्चित की जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को इस आदेश के प्रति जनजागरूकता अभियान चलाने का भी निर्देश दिया है ताकि स्थानीय समुदायों और उद्योगों को इस निर्णय की जानकारी मिल सके।
झारखंड सरकार का रुख
झारखंड सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि उसने 31,468 हेक्टेयर क्षेत्र के बजाय अब 57,519.41 हेक्टेयर क्षेत्र को वन्यजीव अभयारण्य घोषित करने का प्रस्ताव रखा है।
यह प्रस्ताव पश्चिम सिंहभूम जिले के पारिस्थितिक रूप से समृद्ध सरंडा और ससांगदाबुरू इलाकों के संरक्षण के लिए अहम माना जा रहा है।












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