अभयालक्ष्मी ने भाव-भंगिमाओं से रचा मंच पर इतिहास
लोक कला केन्द्र व स्पिक मैके के संयुक्त आयोजन में छात्रों को मिला अंतरराष्ट्रीय कलाकार से संवाद का अवसर
हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय (HNBGU) के लोक कला एवं संस्कृति निष्पादन केन्द्र और स्पिक मैके के संयुक्त तत्वावधान में केन्द्र के प्रेक्षागृह में प्रसिद्ध ओडिसी नृत्यांगना एवं थिएटर कलाकार अभयालक्ष्मी की शानदार प्रस्तुति आयोजित की गई।
कार्यक्रम में ओडिसी नृत्य के शास्त्रीय भाव और नाट्य अभिव्यक्ति का अनूठा संगम देखने को मिला।
छात्रों को मिला अभिनय और सौंदर्य शास्त्र का जीवंत प्रशिक्षण
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रस्तुति देने वाली ओडिसी नृत्यांगना अभयालक्ष्मी ने एम.ए. थिएटर के छात्रों को नृत्य की भाव-भंगिमाओं, दृष्टि-संचार, देह-भाषा और नाटकीय प्रस्तुति की बारीकियां विस्तार से समझाईं।
उन्होंने बताया कि कैसे शास्त्रीय नृत्य में भाव, ताल और अभिनय का संयोजन कलाकार को मंच पर जीवंत बनाता है।
कला साधना की प्रेरक यात्रा: कोयंबटूर से राष्ट्रीय मंच तक
अभयालक्ष्मी पद्मश्री गुरु अरुणा मोहंती की वरिष्ठ शिष्या हैं। उन्होंने मात्र 6 वर्ष की आयु में कोयंबटूर स्थित Temple of Fine Arts International से भरतनाट्यम का प्रशिक्षण लेना आरंभ किया था।
इसके बाद उन्होंने ओडिसी नृत्य को अपनी साधना का माध्यम बनाया और आज देश-विदेश में भारत की सांस्कृतिक पहचान को आगे बढ़ा रही हैं।
वे नृत्यांगना के साथ-साथ शिक्षिका, कोरियोग्राफर और थिएटर कलाकार के रूप में भी सक्रिय हैं।
रामायण और महाभारत के प्रसंगों ने मोहा दर्शकों का मन
ओडिसी नृत्य प्रस्तुति के दौरान अभयालक्ष्मी ने रामायण के धनुषभंग और महाभारत के चीर हरण प्रसंग को अत्यंत प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया।
साथ ही भगवान जगन्नाथ से जुड़े ऐतिहासिक पात्रों और मुस्लिम कवि सालवेग के प्रसिद्ध भजन ‘आहे निला सैला’ पर उनकी प्रस्तुति ने दर्शकों की आंखें नम कर दीं।
पहली बार स्पिक मैके सहयोग, कलाकार का हुआ सम्मान
लोक कला एवं संस्कृति निष्पादन केन्द्र में यह पहला कार्यक्रम था जो स्पिक मैके के सहयोग से आयोजित किया गया।
इस अवसर पर केंद्र की ओर से डॉ. मारिसा पंवार ने अभयालक्ष्मी को अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया।
कार्यक्रम के अंत में केन्द्र के निदेशक गणेश खुगशाल गणी ने कहा कि भविष्य में इस तरह के सांस्कृतिक आयोजनों को नियमित रूप से आयोजित किया जाएगा।
शिक्षा और संस्कृति का मजबूत संगम
स्पिक मैके के माध्यम से विश्वविद्यालय छात्रों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कलाकारों से साक्षात्कार का अवसर मिल रहा है।
यह मंच छात्रों के लिए केवल सीखने का नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति को करीब से समझने का माध्यम बन रहा है।

















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