ममेरे भाई की जिंदगी के लिए किडनी देकर पेश की मिशाल

गंगा असनोड़ा

उत्तराखंड में एक कहावत है- मामा के बराबर कोई मित्र नहीं और भांजे या भांजी से बड़ा कोई देवता नहीं। मामा के प्रति भांजे और भांजियों के प्रेम को दर्शाने वाली इस कहावत को साकार किया है श्रीनगर गढ़वाल की एक चर्चित स्वर्ण विक्रेता प्रियंकाअग्रवाल ने। 

प्रियंका अपने ननिहाल के लिए किसी देवता से कम नहीं। अपने जीवन के सबसे दुष्कर कष्टों के बीच प्रियंका ने अपने ममेरे भाई नितिन की जान बचाने के लिए अपनी एक किडनी दान कर दी।

वर्ष 2019 में प्रियंका को जीवन का सबसे बड़ा आघात पति की मृत्यु के रूप में लगा। इससे पूर्व वर्ष 2012 में प्रियंका को यह मालूम हुआ कि उनकी ढाई साल की बेटी सानवी एक जटिल रोग से पीड़ित है। 2020 में बिटिया सानवी का बोन मैरो ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक हुआ। 

इसके बाद 2022 में प्रियंका को मालूम हुआ कि उसके मामा के इकलौते बेटे नितिन की दोनों किडनियां खराब हो गई हैं। प्रियंका का ब्लड ग्रुप भाई से मैच करता था। सो उन्होंने निर्णय किया कि वो अपने भाई को अपनी एक किडनी दे देंगी। इसके लिए उन्होंने घरवालों को अपने दम पर राजी किया और पूरे साहस के साथ इस कार्य को अंजाम दिया। 
https://regionalreporter.in/nanda-devi-lokjaat-fair-declared-as-state-fair/
https://youtu.be/DOr9xIQE7b8?si=HonlslC1wwNgngS2

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