एक पशु सेवक का जाना departure of a cattleman

लाला गिरीश अग्रवाल थे मजदूरों और गरीब विद्यार्थियों के लिए मसीहा
रीजनल रिपोर्टर ब्यूरो
श्रीनगर के अपर बाजार में आवारा पशुओं का जमावड़ा देख भले ही कोई भी व्यक्ति मुंह फेर ले, लेकिन लाला गिरीश अग्रवाल उनकी सेवा के लिए सदैव तत्पर रहते। उन्होंने अपनी सेवा में सिर्फ गाय ही नहीं, बल्कि सांड, कुत्ता, सांप, चूहे और न जाने किन-किन जानवरों को भी शुमार करके रखा। जहां भी वे सुनते कि सांप निकल आया है, एक डिब्बा लेकर पहुंच जाते, उसे पकड़ने, ताकि उन्हें किसी सुरक्षित स्थान पर छोड़ा जा सके। https://regionalreporter.in/condition-of-jal-sansthan-is-amazing-unbelievable-and-unimaginable/


हरदम मुस्कुराते रहना और सामने वाले को हँसाने की कोशिश करना जैसे उनका शगल था। उनकी दुकान में पशुओं का चारा था, तो वे निशुल्क इलाज के लिए दवाएं भी रखते। सुबह दुकान खोलने से पहले उनकी दुकान के सामने गाय और सांड जमावड़ा लगाए रहते, क्योंकि उन्हें भरपूर चारा मिलता। कोई पशु यदि बीमार हो गया, तो उसकी जरूरत के अनुसार गर्म पानी या ठंडे पानी के साथ या हाजमोला की गोली के साथ पीसकर पशुओं को दवा मिल जाती। वे कहते जानवर निरीह हैं, वे अपना दर्द किसी को बता नहीं सकते, ऐसे में उन्हें लाठी-डंडे से पीटना या मार डालना क्रूरता है।

उनकी दुकान में सबसे अधिक कमजोर वर्ग के ग्राहक आते। ये कमजोर वर्ग मजदूर और छात्रों के रूप में होता। ग्राहक की जेब खाली भी होती, तो अपनी दुकान पर आए हुए ग्राहक को उन्होंने कभी भी खाली हाथ नहीं लौटाया। उसके घर का चूल्हा जल सके, इसकी व्यवस्था के लायक उसे उधार ही मिल जाता, यह फिक्र किए बिना कि यह उधारी वापस आएगी भी या नहीं।

लाला गिरीश अग्रवाल एक सामान्य व्यक्ति थे। उनके प्रिय मित्र अनिल उनियाल कहते हैं कि गिरीश अग्रवाल जितने सरल व्यक्ति थे, उतने ही सरलता से उन्होंने जीवन भी जिया। वे भयमुक्त व्यक्ति थे। उनका जाना इसलिए सालता है कि वे इंसानियत के पुजारी थे।

आज के समय में अपने सामाजिक धर्म को निभाने के लिए जब सोशल मीडिया में फोटो डाले बगैर कोई भी सामाजिक कार्यकर्ता रह नहीं पाता, ऐसे में गिरीश अग्रवाल जी के पुण्य कार्यों का कोई एक भी फोटो किसी के पास उपलब्ध नहीं। क्योंकि वे दिखावे से अधिक कर्म पर भरोसा करते।

उनके जाने पर भाजपा मंडल अध्यक्ष जीतेंद्र धिरवाण, पूर्व अध्यक्ष गिरीश पैन्यूली, जीतेंद्र रावत, पुनीत जैन, नवनीत जैन, व्यापार संघ अध्यक्ष दिनेश असवाल, वासुदेव कंडारी, अनिल अग्रवाल, हिमांशु अग्रवाल, पूर्व जिला पंचायत सदस्य लखपत भंडारी, कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता विजय रावल, सामाजिक कार्यकर्ता अनिल स्वामी, राजीव विश्नोई सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।
रीजनल रिपोर्टर के वे सुधि पाठकों में शुमार थे। रीजनल रिपोर्टर परिवार उनको श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

लिंग भेद के कट्टर विरोधी थे स्व.अग्रवाल
स्व.गिरीश अग्रवाल लिंगभेद के कट्टर विरोधी थे। उन्होंने अपनी दो बेटियों राशि और ऋचा को हर वो सुविधा दी, जिससे वे बेहतर पढ़-लिख सकें। वे अपनी ही नहीं, दूसरो की बेटियों पर भी प्रफुल्लित नजर आते। यही कारण रहा कि उन्होंने अपनी दोनों बेटियों को न सिर्फ बेहतर शिक्षा दिलाई, बल्कि पढ़ाई पूरी करने के बाद पढ़ाई के लिए बैंग्लौर भी भेजा। उनकी बेटी राशि वर्तमान में एक्सेचर कंपनी तथा ऋचा सिज्जेल कंपनी में कार्यरत हैं। दोनों बेटियों को मलाल है कि समाज की रूढ़ियों ने उनके पिता के अंतिम कार्यों के लिए उन्हें इजाजत नहीं दी। वे कहती हैं कि हमारे पास सागर जैसा भाई था, तो हमारे पिता का अंतिम संस्कार तथा अन्य कार्य भली भांति संपन्न हो रहे हैं, लेकिन ऐसा न होता, तो क्या तब भी हमारा यह अधिकार हमें नहीं मिलता!

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