एनडीए की बिहार जीत के बाद उत्तराखंड में सियासी हलचल, विधायकों की बढ़ी सक्रियता
बिहार विधानसभा चुनाव संपन्न होने के साथ ही उत्तराखंड में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं एक बार फिर तेज हो गई हैं। बीजेपी नेतृत्व पहले ही संकेत दे चुका था कि बिहार चुनावों के बाद उत्तराखंड में कैबिनेट विस्तार की संभावना प्रबल है।
अब जब बिहार में ताजपोशी की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं, उत्तराखंड में भी राजनीतिक हलचल बढ़ गई है।
बढ़ी मंत्रिमंडल विस्तार की संभावनाएँ
बीजेपी नेताओं का मानना है कि बिहार में एनडीए की प्रचंड जीत ने राजनीतिक माहौल को मजबूती दी है, जिससे उत्तराखंड में भी लंबित मंत्रिमंडल विस्तार पर निर्णय की जमीन तैयार हो रही है।
2022 में विधानसभा चुनाव के बाद से ही धामी सरकार में कई पद खाली पड़े हैं, लेकिन अब तक इन पर कोई फैसला नहीं हो पाया है।
जैसे-जैसे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दिल्ली दौरों में वृद्धि होती है और विधायकों की उनसे मुलाकातें बढ़ती हैं, वैसे-वैसे प्रदेश में कैबिनेट विस्तार की अटकलें भी जोर पकड़ लेती हैं।
वर्तमान में ऐसे ही हालात एक बार फिर प्रदेश में दिखाई दे रहे हैं।
बीजेपी नेतृत्व पहले ही संकेत दे चुका था
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कुछ समय पहले स्पष्ट कहा था कि बिहार चुनाव के बाद उत्तराखंड मंत्रिमंडल का विस्तार संभव है।
अब बिहार में मुख्यमंत्री का चयन हो चुका है और शपथ 20 नवंबर को होनी है, इसलिए उत्तराखंड में भी सियासी गतिविधियां तेज हो गई हैं।
धामी मंत्रिमंडल में 5 पद खाली
धामी मंत्रिमंडल में वर्तमान में 5 पद खाली हैं।
कारण इस प्रकार हैं:
- 2022 में सरकार गठन के बाद से 3 सीटें खाली
- 2023 में कैबिनेट मंत्री चंदन रामदास का निधन
- 16 मार्च 2025 को कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का इस्तीफा
इसके बाद से कुल 5 पद रिक्त चल रहे हैं, जिन्हें भरने की मांग लगातार उठती रही है।
कांग्रेस का तीखा हमला-सीएम जवाब दें
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने धामी सरकार पर तीखा हमला करते हुए कई सवाल उठाए।
“मंत्रिमंडल का विस्तार अभी तक क्यों नहीं हुआ? पांच पद खाली होने से प्रदेश को कितना नुकसान हुआ, इसका जवाब मुख्यमंत्री को देना चाहिए।”
उन्होंने आरोप लगाया “मुख्यमंत्री सभी विभाग अपने पास रखना चाहते हैं। यह विभागों पर नियंत्रण का मामला है। इससे भ्रष्टाचार का वातावरण बन रहा है।”
कांग्रेस ने मंत्रिमंडल विस्तार में देरी को “जनता के साथ छल” करार दिया है।
2027 चुनाव से पहले महत्वपूर्ण राजनीतिक कदम
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2027 विधानसभा चुनाव से पहले मंत्रिमंडल विस्तार भाजपा के लिए संगठनात्मक और प्रशासनिक रूप से बेहद अहम होगा।
इसी कारण यह मुद्दा बार-बार सुर्खियों में आता रहा है और अब बिहार चुनावों के बाद इसकी संभावना और मजबूत हो गई है।















Leave a Reply