उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल को बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट ने यूजीसी व केंद्रीय विश्वविद्यालय एक्ट के तहत वैध मानते हुए उनकी नियुक्ति को चुनौती देती याचिका को खारिज कर दिया है।
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उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालयके वीसी अन्नपूर्णा नौटियाल की नियुक्ति को चुनौती देती याचिका पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने उनकी नियुक्ति को यूजीसी व केंद्रीय विश्वविद्यालय एक्ट के तहत वैध मानते हुए नियुक्ति को चुनौती देती याचिका को खारिज कर दिया है।
खंडपीठ ने याचिकाकर्ता, विश्वविद्यालय और केंद्र सरकार का विस्तृत रूप से पक्ष सुना। सुनवाई पर केंद्र सरकार और विश्वविद्यालय के द्वारा कहा गया कि सलेक्शन कमेटी ने वीसी की नियुक्ति यूजीसी की नियमावली 2018 और केंद्रीय विश्वविद्यालय नियमावली 2009 के तहत की है। किसी भी नियमावली का उल्लंघन नहीं किया है। कमेटी इस पद के लिए योग्य अभ्यर्थी को ही नियुक्त किया है इसलिए याचिका को निरस्त किया जाए।
जानें क्या था पूरा मामला
जानकारी के मुताबिक, समाज सेवी देहरादून निवासी रविंद्र जुगरान ने 2021 में याचिका दायर कर कहा कि, हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर की नियुक्ति यूजीसी की नियमावली 2009 के विरुद्ध की गई है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि, पहले वाइस चांसलर की नियुक्ति करने के लिए विज्ञप्ति जारी हुई, जिसमें 203 अभ्यर्थियों ने आवेदन किए जिसमें की 15 अभ्यर्थियों को चुना गया।
इन 15 अभ्यर्थियों में से तीन अभ्यर्थी इस पद के योग्य पाए गए परंतु कमेटी ने इस पद पर इन तीन अभ्यर्थियों का चयन न कर किसी चौथे अभ्यर्थी को वाइस चांसलर के पद पर नियुक्ति कर दी जिनके द्वारा इस पद हेतु आवेदन किया ही नहीं गया, न ही उनके पास इस पद के लिए योग्यता है। फिर किस आधार पर उनकी नियुक्ति इस पद पर कर दी गई। लिहाजा उनकी नियुक्ति को निरस्त किया जाए।