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ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा डैम बना रहा चीन

  • तिब्बत में 1.44 लाख करोड़ रुपये की लागत से शुरू हुआ निर्माण
  • पर्यावरण और सामरिक खतरे की आशंका

भारत और चीन के बीच लंबे समय से जारी भू-राजनीतिक तनाव अब एक नई दिशा में बढ़ रहा है। इस बार मुद्दा है पानी का और उसका नियंत्रण।

चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने की दिशा में पहला कदम बढ़ा दिया है। तिब्बत के न्यिंगची क्षेत्र में बन रहा यह विशाल जलविद्युत परियोजना अब न सिर्फ पर्यावरणीय संकट का कारण बन सकती है, बल्कि भारत और बांग्लादेश के लिए भविष्य का जल संकट और सामरिक खतरा भी बन रही है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन की इस परियोजना का शिलान्यास 19 जुलाई 2025 को चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग द्वारा किया गया। परियोजना को दिसंबर 2024 में स्वीकृति मिली थी। भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है, लेकिन चीन की ओर से आश्वासनों के अलावा कोई ठोस जवाब नहीं मिला है।

167.8 अरब डॉलर की लागत से बन रहा ‘यारलुंग जांगबो’ डैम

चीन इस डैम को ‘यारलुंग जांगबो’ नाम से विकसित कर रहा है, जो ब्रह्मपुत्र नदी का तिब्बती नाम है। परियोजना की कुल लागत 167.8 अरब अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹1.44 लाख करोड़) है।

यह बांध तिब्बत के न्यिंगची शहर में बन रहा है, जो भारत के अरुणाचल प्रदेश की सीमा से सटा क्षेत्र है। यहीं से ब्रह्मपुत्र नदी यू-टर्न लेकर भारत में प्रवेश करती है।

इस डैम में पांच कैस्केड पावर स्टेशन होंगे और इसके माध्यम से हर साल लगभग 300 अरब किलोवॉट-घंटे बिजली का उत्पादन किया जाएगा — जो 30 करोड़ लोगों की वार्षिक ऊर्जा आवश्यकता पूरी करने के लिए पर्याप्त है।

भारत और बांग्लादेश के लिए बड़ा खतरा

ब्रह्मपुत्र नदी भारत और बांग्लादेश के लिए जीवनरेखा मानी जाती है। यह परियोजना उस जगह पर बन रही है जहां से नदी भारत में प्रवेश करती है। ऐसे में इस पर चीन का पूर्ण नियंत्रण दोनों देशों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर चीन रणनीतिक कारणों से एक साथ पानी छोड़ता है, तो पूर्वोत्तर भारत और बांग्लादेश में भयंकर बाढ़ जैसी आपदाएं आ सकती हैं।

न्यिंगची क्षेत्र को भूकंपीय रूप से अति संवेदनशील माना जाता है। ऐसे में वहां इस स्तर का बांध निर्माण करना प्राकृतिक आपदा की बड़ी आशंका को जन्म देता है।

पर्यावरणविदों का कहना है कि यह प्रोजेक्ट स्थानीय इकोसिस्टम, नदी की जैव विविधता और पहाड़ी क्षेत्रों की भू-संरचना को गहरा नुकसान पहुंचा सकता है।

‘यारलुंग जांगबो’ परियोजना को लेकर भारत ने जताई आपत्ति

भारत के विदेश मंत्रालय ने इस परियोजना को लेकर चीन से आपत्ति जताई है और आग्रह किया है कि ब्रह्मपुत्र नदी जैसी ट्रांस-बाउंड्री नदी पर ऐसा कोई कार्य न किया जाए जिससे डाउनस्ट्रीम देशों — भारत और बांग्लादेश — को नुकसान पहुंचे। चीन की ओर से कहा गया कि यह डैम किसी को नुकसान नहीं पहुंचाएगा और वह संवाद जारी रखेगा।

इससे पहले 18 दिसंबर 2024 को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच इस मुद्दे पर बातचीत हो चुकी है।

https://regionalreporter.in/big-change-in-the-transfer-policy-of-teachers-in-uttarakhand/
https://youtu.be/kYpAMPzRlbo?si=XB2UN2wS5EclHXjd
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