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कॉर्बेट नेशनल पार्क से वन गुर्जरों के विस्थापन पर हाईकोर्ट सख्त

याचिकाकर्ताओं से मांगी पुनर्गठन अधिसूचना

दो हफ्तों में 1991 की अधिसूचना पेश करने के निर्देश, अगली सुनवाई तय समय बाद

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क से वन गुर्जरों के विस्थापन से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को दो सप्ताह के भीतर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) के पुनर्गठन से संबंधित अधिसूचना अदालत में पेश करने के निर्देश दिए हैं।

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की युगलपीठ ने दिया।

ढेला और झिरना जोन के 57 वन गुर्जरों ने दी चुनौती

यह याचिका कॉर्बेट पार्क के ढेला और झिरना जोन में निवास कर रहे अब्दुल रहमान समेत 57 वन गुर्जरों की ओर से दाखिल की गई है।

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वे वर्षों से इस क्षेत्र में निवास करते आ रहे हैं, लेकिन पुनर्वासन की प्रक्रिया आज तक पूरी नहीं की गई।

याचिकाकर्ताओं की दलील

याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताया कि वर्ष 1991 में सीटीआर के पुनर्गठन के बाद वे कोर एरिया से बफर जोन में शामिल हो गए। इसके बावजूद अब तक उनका विधिवत पुनर्वास नहीं हो पाया है।

उनका कहना है कि सरकार ने पुनर्वास योजना तो बनाई है, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

कोर्ट का स्पष्ट निर्देश

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता ने कोर्ट में कहा कि

“सीटीआर के पुनर्गठन को लेकर वर्ष 1991 में जारी अधिसूचना अत्यंत महत्वपूर्ण दस्तावेज है और उसी के आधार पर आगे की कानूनी स्थिति स्पष्ट होगी।”

इसी आधार पर कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को दो सप्ताह में 1991 की अधिसूचना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

तराई वन गुर्जर मामले में पहले ही मिल चुकी है राहत

गौरतलब है कि इसी वर्ष जुलाई में नैनीताल हाईकोर्ट ने तराई क्षेत्र के वन गुर्जरों को बड़ी राहत देते हुए खेती की अनुमति दी थी। इस आदेश से—

  • तराई पूर्वी
  • तराई पश्चिमी
  • तराई केंद्रीय वन प्रभाग

में निवास करने वाले करीब 1000 वन गुर्जर परिवार लाभान्वित हुए थे।

क्या था तराई का मामला

अली जान, गुलाम रसूल और मो. यूसुफ जैसे कई वन गुर्जरों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने आरोप लगाया कि

  • वन विभाग खेती से रोक रहा है
  • जमीन पर जबरन पौधारोपण किया जा रहा है
  • इससे उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है

सभी पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि

  • वन गुर्जरों को खेती की अनुमति होगी
  • खेती का उपयोग व्यावसायिक उद्देश्य से नहीं किया जाएगा
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https://youtu.be/kYpAMPzRlbo?si=m6Ds_IzXqYDD2G2t
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