शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए ईडी को मंजूरी मिल गई है।
वहीं, हाईकोर्ट में केजरीवाल और सिसोदिया की याचिकाएं 30 जनवरी को सुनवाई के लिए लगी हैं। उस दिन ईडी की ओर से कोर्ट को बताया जाएगा कि उन्हें मुकदमा चलाने के लिए जरूरी मंजूरी मिल गई है।
आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए ईडी को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जरूरी मंजूरी दे दी है। ये अनुमति अपने आप में इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी के न होने के आधार पर केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने निचली अदालत में चल रही कार्यवाही को चुनौती दी है।
दोनों ने दिल्ली हाईकोर्ट में दायर अपनी अलग-अलग अर्जियों में निचली अदालत की ओर से ईडी की चार्जशीट पर संज्ञान लेने के 9 जुलाई के आदेश को चुनौती दी है।
याचिकाओं में कहा गया है, चूंकि आरोप लगने के वक्त वो दोनों पब्लिक सर्वेट थे, इसलिए चार्जशीट पर संज्ञान लेने के लिए ईडी की ओर से सक्षम ऑथोरिटी से अनुमति लेना जरूरी था।
ट्रायल कोर्ट को बिना जरूरी अनुमति के चार्जशीट पर संज्ञान नहीं लेना चाहिए था। इस आधार पर दोनों ने इस आदेश को रद्द करने की मांग के साथ-साथ मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी सारी कार्रवाई को रद्द करने की मांग भी की है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
केजरीवाल और सिसोदिया की इन अर्जियों के पीछे आधार बना सुप्रीम कोर्ट का 6 नवंबर 2024 आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में भी ईडी को मुकदमा चलाने के लिए सक्षम ऑथोरिटी से अनुमति लेना जरूरी है।
जस्टिस अभय एस ओक और ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा था कि सीआरपीसी की धारा 197(1) PMLA के मामलों में भी लागू होती है।
इस धारा के मुताबिक, किसी भी पब्लिक सर्वेट के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए जांच एजेंसी को सक्षम ऑथोरिटी की अनुमति लेना जरूरी होता है।
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