इंद्रेश मैखुरी
उत्तराखंड निर्वाचन आयोग में बड़े विद्वानों का बसेरा है। पहले वहां बैठे विद्वानों ने उत्तराखंड पंचायत राज अधिनियम की ऐसी व्याख्या की कि उच्च न्यायालय ने भी दांतों तले उंगलियां दबा ली।
अब लगता है निर्वाचन आयोग लट्ठ लेकर हिंदी भाषा के पीछे पड़ गया है। निर्वाचन आयोग के विद्वान अधिकारियों की विद्वता से पहली बार ” सविरोध निर्वाचन ” जैसा शब्द पढ़ने को मिला। हिंदी के किस शब्दकोश में से खोजा गया, यह जरूर सार्वजनिक होना चाहिए।
लगता है निर्वाचन आयोग के भाषा विद्वानों ने निर्विरोध निर्वाचन का विलोम शब्द- ” सविरोध निर्वाचन ” के रूप में गढ़ लिया।
अगर कोई व्यक्ति चुनाव लड़ कर जीता है तो वह सब का प्रतिनिधि माना जाता है, लेकिन यदि वह सविरोध यानि विरोध के साथ जीत रहा है तो वह सबका प्रतिनिधि कैसे माना जाएगा?
अंग्रेजी में निर्विरोध निर्वाचित होने वाले व्यक्ति के संदर्भ में लिखा जाएगा- the candidate has been elected unopposed ।
उत्तराखंड निर्वाचन आयोग द्वारा ईजाद किया गया- ” सविरोध निर्वाचन ” वाला वाक्य अंग्रेजी में कैसे लिखा जाएगा- the candidate has been elected opposed। हो गया ना अर्थ का अनर्थ।
ऐसा ही अनर्थ सारे चुनाव भर उत्तराखंड निर्वाचन आयोग ने पंचायत राज अधिनियम के साथ किया। अब हिंदी भाषा को बख्श दो आयोग के महारथियो।

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