उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सोमवार को ‘एयर प्यूरीफायर’ के बारे में ‘झूठे दावे’ करने के लिए इनके विनिर्माताओं की आलोचना की। केंद्रीय मंत्री ने सर्दियों से पहले उपभोक्ता जागरूकता बढ़ाने का आह्वान किया, जब पड़ोसी राज्यों में फसलों के ठूंठ (पराली) जलाने के कारण दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ जाता है।
विश्व मानक दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जोशी ने कुछ एयर प्यूरीफायर कंपनियों द्वारा अपनाई गई ‘मिसलीडिंग मार्केटिंग स्ट्रेटैजी’ पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, ‘वायु प्रदूषण पर चर्चा शुरू हो गई है। मोबाइल पर AQI यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स देखकर लोग डर के मारे एयर प्यूरीफायर खरीद लेते हैं। एयर प्यूरीफायर वाले झूठे दावे करते हैं। ‘हम एयर प्यूरीफायर देखते हैं। उसमें बहुत कुछ लिखा होता है लेकिन उसमें कुछ नहीं होता। उसमें बस एक पंखा होता है, फिर भी दावे किए जाते हैं।
केंद्रीय मंत्री जोशी ने इस मुद्दे को लेकर भारतीय मानक ब्यूरो (BIS), उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय और उपभोक्ताओं को शामिल करते हुए एक सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया। हाल के वर्षों में BIS के ‘असाधारण शानदार काम’ की प्रशंसा करते हुए मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि इस दिशा में और अधिक काम किए जाने की आवश्यकता है।
मंत्री ने प्रोडक्ट्स और सेवाओं के भ्रामक दावों से निपटने में सामूहिक जिम्मेदारी पर जोर देते हुए कहा, ‘मैं इसके लिए BIS को दोष नहीं देता। पिछले कुछ वर्षों में BIS ने असाधारण रूप से शानदार काम किया है, लेकिन BIS के साथ उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय और उपभोक्ताओं दोनों को मिलकर जागरूकता पैदा करने की जरूरत है।
ये महत्वपूर्ण है, और मैं इसकी पूरी जरूरत महसूस करता हूं।’ उन्होंने कहा कि सुरक्षित, विश्वसनीय और हाई क्वालिटी वाले प्रॉडक्ट्स और सेवाओं तक हर भारतीय की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है।
GeM पोर्टल पर BIS स्टैंडर्ड्स अनिवार्य
जोशी ने सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) पोर्टल पर सार्वजनिक खरीद के लिए BIS स्टैंडर्ड्स को अनिवार्य बनाने की योजना की भी घोषणा की। उन्होंने कहा, ‘GeM पर BIS मानकों को आंशिक रूप से लागू किया गया है। हम इसे अनिवार्य बनाने की कोशिश करेंगे। ‘उन्होंने गुणवत्ता मानकों पर सरकार के फोकस पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कैबिनेट के प्रस्तावों में अब ग्लोबल स्टैंडर्ड नोट भी शामिल है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में 22,300 से अधिक स्टैंडर्ड्स लागू हैं, जिनमें से 94% अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हैं।
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