‘हीमोफीलिया ए’ और ‘वॉन विलेब्रांड’ रोग के लिए पहली स्वदेशी जांच किट तैयार

  • पूर्व वैज्ञानिक डॉ शेट्टी और डॉ. प्रियंका कसाटकर ने किया टेस्ट किट का आविष्कार
  • प्वाइंट ऑफ केयर टेस्ट’ की कीमत अब सिर्फ रुपए 582

भारत में हीमोफीलिया ए और वॉन विलेब्रांड रोग जैसे आनुवंशिक रक्त विकारों का समय पर निदान हमेशा एक चुनौती रहा है। जटिल और महंगी जांचों के चलते अधिकांश मरीज या तो जांच नहीं करवा पाते या बहुत देर से बीमारी की पहचान हो पाती है।

इस समस्या के समाधान हेतु राष्ट्रीय प्रतिरक्षा रुधिर विज्ञान संस्थान (NIIH), मुंबई ने हीमोफीलिया ए और वॉन विलेब्रांड रोग (VWD) की पहचान के लिए एक सरल, वहनीय और स्वदेशी जांच किट विकसित की है। यह पहल देश को आत्मनिर्भर चिकित्सा प्रणाली की दिशा में एक निर्णायक मोड़ प्रदान करती है।

रोगों की प्रकृति और गंभीरता

हीमोफीलिया ए और वॉन विलेब्रांड रोग दोनों ही अनुवांशिक रक्तस्राव विकार हैं, जिनमें शरीर की रक्त के थक्के बनाने की प्राकृतिक प्रक्रिया बाधित होती है।

  1. हीमोफीलिया ए:
  • यह एक आनुवंशिक विकार है जिसमें शरीर में क्लॉटिंग फैक्टर VIII की कमी होती है।
  • चोट लगने पर रक्त का थक्का नहीं बनता, जिससे अत्यधिक रक्तस्राव हो सकता है।
  1. वॉन विलेब्रांड रोग (VWD):
  • यह सबसे आम अनुवांशिक रक्तस्राव विकार है, जिसमें वॉन विलेब्रांड फैक्टर (VWF) की कमी या खराबी होती है।
  • इससे रक्त प्लेटलेट्स चोटग्रस्त जगह पर इकट्ठा नहीं हो पाते।

जांच किट की विशेषताएँ

  • यह किट ‘पॉइंट-ऑफ-केयर’ टेस्टिंग के लिए उपयुक्त है
  • रिपोर्ट मिलने में केवल 25 से 30 मिनट का समय लगता है
  • बाजार में उपलब्ध विदेशी किट की तुलना में 70% तक सस्ती
  • कम संसाधन वाले अस्पतालों और ग्रामीण क्षेत्रों में भी आसानी से उपयोगी

किन वैज्ञानिकों ने बनाई यह किट?

मुख्य आविष्कारक:

  • डॉ. श्रीमती शेट्टी (पूर्व वैज्ञानिक, NIIH)
  • डॉ. प्रियंका कसाटकर (पूर्व ICMR पोस्टडॉक्टोरल फेलो)

विकास और परीक्षण में योगदान:

  • डॉ. रुचा पाटिल (वैज्ञानिक, NIIH)
  • डॉ. बिपिन कुलकर्णी (वैज्ञानिक, NIIH)
  • डॉ. मनीषा मडकाइकर (निदेशक, NIIH एवं CRHCM)
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