अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर का रविवार 100 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह भारत आने वाले तीसरे अमेरिकी राष्ट्रपति भी थे। कार्टर का निधन उनके घर जॉर्जिया में हुआ।
मूंगफली की खेती करने वाले कार्टर ने ‘वाटरगेट’ घोटाले और वियतनाम युद्ध के बाद राष्ट्रपति पद का चुनाव जीता था। वह 1977 से 1981 तक अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति रहे।
राष्ट्रपति बनने से पहले वे संयुक्त राज्य अमेरिका की नौसेना में कार्यरत रहे, जॉर्जिया में सीनेटर रहे और जॉर्जिया के गवर्नर भी रहे।
हाल के वर्षों में उन्हें मेलेनोमा त्वचा कैंसर के एक रूप का इलाज किया गया था। इसमें ट्यूमर उनके लीवर और मस्तिष्क तक फैल गया था।
वह एक छोटे शहर के मूंगफली किसान, अमेरिकी नौसेना के एक अनुभवी और 1971 से 1975 तक जॉर्जिया के गवर्नर थे। वह 1837 के बाद से डीप साउथ से पहले राष्ट्रपति बने।
अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति के रूप में कार्टर को कैंप डेविड समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए याद किया जाता है। इसके परिणामस्वरूप 1967 के छह दिवसीय युद्ध में कब्जाए गए क्षेत्र से पहली बार महत्वपूर्ण इजरायली वापसी हुई। साथ ही इजरायल तथा मिस्र के बीच शांति संधि हुई जो कायम है।
कार्टर को उनके प्रयासों के सम्मान में अंतरराष्ट्रीय संघर्षों का शांतिपूर्ण समाधान ढूंढने, लोकतंत्र और मानवाधिकारों को आगे बढ़ाने तथा आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने के लिए दशकों के उनके अथक प्रयासों के लिए 2002 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
इन क्षेत्रों में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
राष्ट्रपति का पद छोड़ने के एक साल बाद उन्होंने ‘कार्टर सेंटर’ नाम के एक चैरिटी की स्थापना की थी। इस चैरिटी ने चुनावों में पारदर्शिता लाने, मानवाधिकारों का समर्थन करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजूबत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
जिमी कार्टर की चैरिटी ने दुनियाभर में गिमी कृमि (एक प्रकार परजीवी कीड़ा) को खत्म करने में मदद की है। इसका मतलब है कि उनके प्रयासों से इस बीमारी के मामलों में बहुत कमी आई है। इसके अलावा, कार्टर 90 साल की उम्र में ‘हैबिटेट फॉर ह्यूमैनिटी’ नाम के संगठन के साथ जुड़े रहे, जो लोगों के लिए घर बनाने का काम करता है।