उत्तरकाशी के धराली में 5 अगस्त को आई विनाशकारी आपदा ने भले ही पूरे क्षेत्र में तबाही मचाई और अनगिनत सपनों को मलबे में दफ़न कर दिया, लेकिन इस त्रासदी के बीच भी मानवीय उम्मीद की एक असाधारण कहानी सामने आई है।
दुकान और सपना, सब मलबे में समाया
आपदा के दौरान, एक स्थानीय दुकानदार की पूरी दुकान मलबे के नीचे दब गई थी।
इस दुकान के अंदर उसकी मेहनत की कमाई ₹2 लाख रुपये भी सुरक्षित रखे थे, जो अब मलबे के विशाल ढेर में खो चुके थे।
50,000 का हौसला
कई दिन बीत जाने के बाद, जब हर तरफ निराशा थी, तब भी दुकानदार ने हार नहीं मानी।
उसने अपनी बची-खुची पूंजी में से ₹50,000 खर्च करने का साहसी फैसला लिया, ताकि मलबा हटवाकर अपने दबे हुए पैसों को खोजा जा सके।
लंबी और कठिन खुदाई के बाद, वह चमत्कार हुआ जिसकी उम्मीद कम ही लोगों को थी।
मलबे के ढेर से दो लाख रुपये के नोट पूरी तरह सुरक्षित बरामद हुए!
यह सिर्फ पैसा नहीं…
जैसे ही सुरक्षित नोट दुकानदार के हाथ में आए, उसकी आँखों से खुशी के आंसू छलक पड़े।
यह सिर्फ पैसों की बरामदगी नहीं थी; यह अदम्य इच्छाशक्ति, सच्ची उम्मीद, और विपरीत परिस्थितियों में भी हौसला न छोड़ने की मानवीय भावना की जीत थी।
आपदा के बीच नई शुरुआत
धराली त्रासदी ने गहरे घाव दिए हैं, लेकिन यह घटना दर्शाती है कि क्षेत्र के लोग टूटे हुए सपनों और मलबे के बीच भी एक नई शुरुआत करने की कोशिश में जुटे हैं।
इस दृढ़ संकल्प और अटूट विश्वास को हमारा सलाम!

















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