करवा चौथ का इंतजार सुहागिन महिलाएं बेसब्री से करती हैं। यह व्रत पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने वाला और प्यार-विश्वास, सुख बढ़ाने वाला पर्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, करवा चौथ का व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है और फिर रात को चंद्रमा के दर्शन करके पूजा-अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद व्रती महिलाएं व्रत खोलती हैं।
इस बार चतुर्थी तिथि की शुरुआत 20 अक्टूबर यानी कल सुबह 6 बजकर 46 मिनट पर होगी और तिथि का समापन 21 अक्टूबर को सुबह 4 बजकर 16 मिनट पर होगा।
वहीं, करवा चौथ के लिए दो पूजन मुहूर्त मिलेंगे- पहला अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 43 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक रहेगा और फिर, दोपहर 1 बजकर 59 मिनट से लेकर 2 बजकर 45 मिनट तक विजय मुहूर्त रहेगा।
करवा का मतलब
करवा चौथ शब्द 2 शब्दों से मिलकर बना है, ‘करवा’ यानी ‘मिट्टी का बरतन‘ और ‘चौथ’ यानि कि ‘चतुर्थी’। करवा चौथ व्रत में मिट्टी के बरतन यानी करवे का विशेष महत्व है साथ ही चौथ माता की पूजा की जाती है।
करवा चौथ की पूजा शाम के समय चांद निकलने से पहले की जाती है। इस पूजा के समय महिलाएं एक जगह एकत्रित होकर फेरी की रस्म भी निभाती हैं। इस रस्म के दौरान महिलाएं घेरा बनाकर बैठती हैं और एक-दूसरे से करवा चौथ की थाली बदलती हैं। तो वहीं इस समय करवा चौथ की कथा भी सुनी जाती है।
कई महिलाएं करवा चौथ की पूजा घर पर अकेले ही करती हैं। वो शुभ मुहूर्त में शिव-पार्वती, कार्तिकेय, भगवान गणेश और माता करवा की पूजा करती हैं और फिर व्रत कथा पढ़ती हैं।

करवा चौथ चांद निकलने का समय
करवा चौथ पर चांद निकलने का समय शाम 7 बजकर 54 मिनट का है।
करवा चौथ पूजा सामग्री
करवा माता की तस्वीर, छलनी, कलश भर जल, करवाचौथ व्रत की कथा, हल्दी, कुमकुम, रोली, चन्दन, फूल, चावल, मिठाई, अक्षत, पान, दही, देसी घी, मिट्टी का करवा (कलश), कच्चा दूध, शहद, मौली, शक्कर, नारियल।
करवा चौथ की थाली
तांबे का लोटा, फल-फूल, सींक, करवा, छलनी, आटे का दीया, जल, मिठाई, रोली, सुहाग से जुड़ा सामान, करवा माता की फोटो, चंदन, कुमकुम, अक्षत, सिंदूर होता है।
करवा चौथ व्रत की उत्तम विधि
सूर्योदय से पहले स्नान कर व्रत रखने का संकल्प कर लें फिर मिठाई, फल, सेवई और पूड़ी खाकर व्रत शुरू करे। इसके बाद शिव परिवार और श्रीकृष्ण की स्थापना करें। गणेश जी को पीले फूलों की माला, लड्डू और केले चढ़ाएं तथा भगवान शिव और पार्वती को बेलपत्र और श्रृंगार की चीजें अर्पित करें साथ ही श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री और पेड़े का भोग लगाएं। उनके सामने मोगरे की अगरबत्ती और घी का दीपक जलाएं और मिट्टी के करवे पर रोली से स्वस्तिक बनाएं।
करवे में दूध, जल और गुलाबजल मिलाकर रखें और रात को छलनी से चांद के दर्शन करें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें। करवा चौथ के दिन महिलाओं को करवा चौथ की कथा सुननी चाहिए। और कथा सुनने के बाद अपने घर के सभी बड़ों के पैर जरूर छुएं। इस दिन पति को प्रसाद देकर भोजन कराएं और बाद में खुद भी भोजन करें।
कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ व्रत करने का विधान है। इस व्रत की विशेषता यह है कि केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही यह व्रत करने का अधिकार है। स्त्री किसी भी आयु, जाति, संप्रदाय की हो, सबको इस व्रत को करने का अधिकार है।
करवा चौथ के दिन गणेशजी को घी-गुड़ का भोग लगाकर आर्थिक विघ्नों को दूर करने के लिए प्रार्थना करें। पूजा के बाद घी और गुड़ किसी गाय को खिला दें। इससे धन संबंधी समस्याएं दूर हो जाती है। इस दिन विघ्नहर्ता को 21 गुड़ की गोलियां बनाकर दुर्वा के साथ चढ़ाएं इससे घर-परिवार में प्रेम और सहयोग का वातावरण बना रहता है और मनोकामनाएं पूरी होंगी।

करवा चौथ की कथा
पौराणिक काल से यह मान्यता चली आ रही है कि पतिव्रता सती सावित्री के पति सत्यवान को लेने जब यमराज धरती पर आए तो सत्यवान की पत्नी ने यमराज से अपने पति के प्राण वापस मांगने की प्रार्थना की। उसने यमराज से कहा कि वह उसके सुहाग को वापस लौटा दें। मगर यमराज ने उसकी बात नहीं मानी। इस पर सावित्री अन्न-जल त्यागकर अपने पति के मृत शरीर के पास बैठकर विलाप करने लगी। काफी समयि तक सावित्री के हठ को देखकर यमराज को उस पर दया आ गई। यमराज ने उससे वर मांगने को कहा।
इस पर सावित्री ने कई बच्चों की मां बनने का वर मांग लिया। सावित्री पतिव्रता नारी था और अपने पति के अलावा किसी के बारे में सोच भी नहीं सकती थी तो यमराज को भी उसके आगे झुकना पड़ा और सत्यवान को जीवित कर दिया। तभी से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए महिलाएं सावित्री का अनुसरण करते हुए निर्जला व्रत करती हैं।
यह भी है एक वजह
करवा चौथ का व्रत मुख्य रूप से देश के उत्तर और पश्चिम राज्यों की महिलाएं रखती हैं। ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल से ही इन राज्यों के पुरुष सेना में काम करते आ रहे हैं और पुलिस में भर्ती होते रहे हैं। तो इनकी सलामती के लिए इन राज्यों की महिलाएं करवा चौथ का व्रत करती हैं। जिससे कि उनके पति की दुश्मनों से रक्षा हो सके और उनकी आयु लंबी हो।
वहीं जिस वक्त यह त्योहार मनाया जाता है उन दिनों में रबी की फसल यानी गेहूं की फसल बोई जाती है। कुछ स्थानों पर महिलाएं करवा में गेहूं भी भरकर रखती हैं और भगवान को अर्पित करती हैं। ताकि उनके घर में गेहूं की अच्छी फसल पैदा हो।