- पंचमुखी डोली ऊखीमठ के लिए रवाना
- मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और हजारों श्रद्धालुओं ने किए बाबा केदार के अंतिम दर्शन
हिमालय की गोद में स्थित भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ धाम के कपाट आज वेद मंत्रों और वैदिक विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए।
पूरे कार्यक्रम के दौरान मौसम सुहावना रहा और मंदिर परिसर में पुष्प सज्जा, दीप सज्जा और भक्ति संगीत की धुनों से वातावरण भक्तिमय बन गया। श्रद्धालु बाबा केदार के जयकारे लगाते हुए भावविभोर नजर आए।
कपाट बंद होने के साथ ही छह माह की शीतकालीन अवधि के लिए बाबा केदार की पूजा अब ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में संपन्न होगी।
आज सुबह ब्रह्म मुहूर्त में विशेष पूजा-अर्चना और रुद्राभिषेक के साथ कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू हुई। जैसे ही मुख्य पुजारी रावल ने बाबा केदार की पंचमुखी चल विग्रह डोली को मंदिर से बाहर निकाला, पूरा परिसर “हर हर महादेव” के जयघोष से गूंज उठा।
25 अक्टूबर को ऊखीमठ पहुंचेगी डोली
कपाट बंद होने के साथ ही भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह डोली आज कैलाश से रवाना हो गई। यह डोली आज रात अपने प्रथम पड़ाव पर विश्राम करेगी और 25 अक्टूबर को ऊखीमठ पहुंचकर ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान होगी। यहीं से आगामी छह माह तक भगवान केदारनाथ की पूजा-अर्चना नियमित रूप से की जाएगी।
इससे पहले गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद किए जा चुके हैं। अब केवल बद्रीनाथ धाम के कपाट 25 नवंबर को बंद किए जाएंगे। कपाट बंद होने के साथ ही चारधाम यात्रा 2025 का समापन हो जाएगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, बद्री-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष हेमंत त्रिवेदी, जिलाधिकारी प्रतीक जैन, केदानाथ विधायक आशा नौटियाल, जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम कठैत और हजारों श्रद्धालु इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बने। इस अवसर पर सेना के बैंड द्वारा भक्ति संगीत की प्रस्तुतियाँ दी गईं।

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