अटॉर्नी जनरल की मंज़ूरी के बाद दिवाली के बाद होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई पर 7 अक्टूबर 2025 को जूता फेंकने वाले वकील राकेश किशोर के खिलाफ अब क्रिमिनल कंटेम्प्ट यानी आपराधिक अवमानना का मुकदमा चलेगा।
अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने इस कार्रवाई की अनुमति दी है। अदालत ने तय किया है कि मामला दिवाली अवकाश के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होगा।
7 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट नंबर 1 में सुनवाई के दौरान राकेश किशोर ने अचानक जूता फेंक दिया। घटना के तुरंत बाद उन्होंने खुद यह स्वीकार किया कि जूता उन्होंने ही फेंका। इस घटना ने न्यायपालिका में हलचल मचा दी और वकील समुदाय में भी चर्चा का विषय बन गई।
इस घटना को लेकर दो अपीलें दाखिल की गईं- एक सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष द्वारा और दूसरी सॉलिसिटर जनरल की ओर से। उनका कहना था कि यह सिर्फ अनुशासनहीनता नहीं, बल्कि न्यायपालिका की गरिमा पर सीधा हमला है।
सॉलिसिटर जनरल ने अदालत में कहा कि राकेश किशोर ने अपने कृत्य पर कभी पछतावा नहीं जताया, कई इंटरव्यू में अपनी हरकत को सही ठहराया, इसलिए जरूरी है कि अदालत सख्त संदेश दे।
सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
15 अक्टूबर को यह मामला न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की बेंच के सामने आया। बेंच ने कहा कि जब मुख्य न्यायाधीश स्वयं मामले को बढ़ावा नहीं देना चाहते, तो इसे अनावश्यक रूप से तूल देना ठीक नहीं होगा।
अदालत ने यह भी संकेत दिया कि सोशल मीडिया पर मामले को फिर से उछालने से केवल प्रचार चाहने वालों को मंच मिलेगा।
क्रिमिनल कंटेम्प्ट तब माना जाता है जब कोई अदालत या न्यायाधीश के कार्यों का अपमान करता है, उनके काम में बाधा डालता है या न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश करता है। इस अपराध के लिए अधिकतम 6 महीने की जेल या 2,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है।
अटॉर्नी जनरल की मंज़ूरी इस मामले की सुनवाई की पूर्व शर्त है। अब अदालत तय करेगी कि राकेश किशोर को सज़ा दी जाए, चेतावनी दी जाए या माफ़ी के आधार पर मामला समाप्त किया जाए।
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