मौनी अमावस्या पर संगम में डुबकी लगाना हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन गंगा या किसी दूसरी पवित्र में स्नान करने और दान करने से बहुत पुण्य मिलता है।
ऐसा कहा जाता है कि इस दिन सूर्य और चंद्रमा मकर राशि में होते हैं, जिससे इनकी सकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है। इसलिए इस दिन अच्छे कर्म का फल कई गुना ज्यादा मिलता है।
इस दिन महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान भी है, लिहाजा इस दिन त्रिवेणी में स्नान का महत्व कई गुना ज्यादा बढ़ गया है। इसलिए लोग संगम तक पहुंचने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं।
रे अमृत स्नान पर स्नान व दान का मुहूर्त
मौनी अमावस्या को ब्रह्म मुहूर्त स्नान और दान (Snan Daan) के लिए सबसे उत्तम समय माना जाता है। 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन में प्रात: काल 5 बजकर 25 मिनट से सुबह 6 बजकर 18 मिनट तक ब्रह्म मुहूर्त है।
इस दौरान संगम स्नान और दान बहुत फलदाई होगा. इस दिन अभिजीत मुहूर्त नहीं बन रहा है। दोपहर को 2 बजकर 22 मिनट से 3 बजकर 5 मिनट तक विजय मुहूर्त का निर्माण हो रहा है।
शाम को 5 बजकर 55 मिनट से 6 बजकर 22 मिनट तक गोधूलि मुहूर्त है। इन मुहूर्त में भी स्नान और दान करना उत्तम रहेगा।
हालांकि इस दिन सुबह 11 बजकर 34 मिनट से 1 बजकर 55 मिनट तक राहुकाल लगने वाला है. हिंदू धर्म में राहुकाल में शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं. इसलिए इस समय स्नान और दान ना करना ही अच्छा होगा।
महाकुंभ में अमृत स्नान की तिथियां
महाकुंभ में मकर संक्रांति का अमृत स्नान संपन्न हो चुका है। अब मौनी अमावस्या, वसंत पंचमी, माघी पूर्णिमा (Maghi Purnima) और महाशिवरात्रि को अमृत स्नान होगा।
दूसरा अमृत स्नान मौनी अमावस्या को 29 जनवरी, बुधवार को होगा। तीसरा अमृत स्नान वसंत पंचमी को होगा।
महाकुंभ में अमृत स्नान का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन संगम स्नान को अमृत स्नान कहा जाता है। अमृत स्नान के समय पवित्र नदियों में स्नान करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।