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सरोकारों से साक्षात्कार

मैं क्यों लिखता हूँ, क्यों रहते है उसमें पहाड़, प्रकृति: डॉ.अतुल शर्मा

डॉ. अतुल शर्मा पुस्तकें: उत्तराखंड के जनकवि की साहित्यिक यात्रा

उत्तराखंड: डॉ. अतुल शर्मा की पुस्तकें 1970 से 2025 तक के उनके लेखन सफर को दर्शाती हैं। इन पुस्तकों में कविता, जनगीत, उपन्यास और रंगमंच का अनुभव शामिल है। उनका लेखन पाठकों से जुड़ाव और आत्मीयता का माध्यम है।

लेखन की शुरुआत और अनुभव

डॉ. शर्मा कहते हैं, “मैं जो देखता हूँ, उसे लिखता हूँ। मैं अनुभव करता हूँ, जीवन में शामिल रहता हूँ और सही को सही कहने की साधना करता हूँ।”
उनकी पहली कविताएँ और लेखन प्रयास 1970 के दशक से शुरू हुए।

कविता, उपन्यास और जनगीत

डॉ. शर्मा ने कई विधाओं में लेखन किया:

  • कविता
  • जनगीत
  • उपन्यास
  • रंगमंच
  • कहानियाँ और लेख

उत्तराखंड आंदोलन के दौरान लिखे गए जनगीत उनकी इसी लेखन प्रक्रिया का परिणाम हैं। नदी और प्रकृति पर आधारित जनगीत भी उनकी प्रतिबद्ध चेतना का हिस्सा हैं।

प्रमुख पुस्तकें और संग्रह

उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं:

  • कविता संग्रह: ‘थकती नहीं’, ‘बिना दरवाज़ो का समय’, ‘नदी’, ‘सींचेगी नींव’, ‘जनगीतों का वातावरण’, ‘अब तो सड़कों पर आओ’
  • उपन्यास: कोरोना पर आधारित ‘दृष्य’अदृष्य’, ‘नानू की कहानी’
  • संपादन: पांच खंडों में ‘महान स्वतंत्रता सेनानी एवं राष्ट्रीय कवि श्रीराम शर्मा प्रेम’
  • विशेष संग्रह: ‘वाह रे बचपन’ (सात खंडों में अस्सी लोगों के बचपन के संस्मरण)

मीडिया और सक्रिय भागीदारी

डॉ. शर्मा की कविताएँ और लेख नियमित रूप से प्रकाशित होते रहे हैं:

  • साप्ताहिक धर्मयुग, सारिका, कादंबिनी, आजकल
  • दैनिक जागरण, हिंदुस्तान, टाइंस
  • दूरदर्शन, आकाशवाणी, स्थानीय समाचार पत्र

वे नुक्कड़ नाटक, राष्ट्रीय कवि सम्मेलन और साहित्यिक कार्यक्रमों में सक्रिय रहे हैं।

https://regionalreporter.in/former-india-cricketer-dilip-doshi-passes-away/

https://youtu.be/jGaRHT7bFcw?si=9ar-SU5RzSbDMgwt
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