रामनगर कांग्रेस कार्यालय विवाद पहुंचा हाईकोर्ट

सरकार और नगर पालिका को नोटिस जारी

उत्तराखंड के रामनगर में स्थित कांग्रेस कार्यालय को खाली कराने और उसे निजी व्यक्ति को सौंपे जाने के मामले ने अब कानूनी मोड़ ले लिया है। शुक्रवार, 4 जुलाई 2025 को इस मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सुनवाई की और सरकार व रामनगर नगर पालिका परिषद को निर्देशित किया कि वे भवन को कब्जा मुक्त कराएं।

याचिकाकर्ताओं ने लगाए आरोप

ज्योलीकोट निवासी प्रेम बिष्ट द्वारा दाखिल जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि उप जिलाधिकारी (एसडीएम) रामनगर ने विधिक प्रक्रिया का पालन किए बिना कांग्रेस कार्यालय को खाली कराया और उसका कब्जा निजी व्यक्ति नीरज अग्रवाल को दे दिया। याचिकाकर्ता ने इसे मनमानी करार देते हुए कहा कि यह कार्रवाई कानून की स्पष्ट अवहेलना है।

याचिका में यह भी स्पष्ट किया गया है कि जिस नीरज अग्रवाल को भवन का अधिकार सौंपा गया, उनकी 90 साल की लीज पहले ही समाप्त हो चुकी थी। ऐसे में उनका इस संपत्ति पर कोई वैध अधिकार नहीं बनता।

प्रेम बिष्ट ने दलील दी कि संपत्ति की असल मालिक उत्तराखंड सरकार और रामनगर नगर पालिका है। इसलिए नगरपालिका को चाहिए कि वह अग्रवाल को नोटिस जारी कर भवन को खाली कराए।

सरकार और पालिका परिषद जिम्मेदारी निभाएं: कोर्ट

उत्तराखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ, जिसमें वरिष्ठ न्यायधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय शामिल थे, ने याचिका की सुनवाई के बाद राज्य सरकार और पालिका परिषद रामनगर को निर्देश दिए हैं कि वे अग्रवाल को नोटिस जारी करें और भवन को पुनः कब्जा मुक्त कराएं। कोर्ट ने इस मुद्दे को प्रशासनिक लापरवाही और अधिकारों के दुरुपयोग से जुड़ा मामला माना।

यह मामला केवल कानूनी विवाद नहीं, बल्कि राजनीतिक दलों की संपत्तियों के स्वामित्व और उनके उपयोग की वैधता को लेकर भी सवाल खड़े करता है। यदि प्रशासन बिना उचित प्रक्रिया के किसी राजनीतिक कार्यालय को खाली कराता है, तो यह एक गंभीर उदाहरण बन सकता है, जिसकी आड़ में अन्य संस्थानों पर भी कार्रवाई की जा सकती है।

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