ISRO ने मस्क की SpaceX से मिलाया हाथ
एलन मस्क की स्पेसएक्स कंपनी ने 18 नवंबर की आधी रात फाल्कन 9 रॉकेट से भारत के GSAT-N2 कम्युनिकेशन सैटेलाइट को लॉन्च किया। 4700 किलो वजनी सैटेलाइट 14 साल के मिशन के लिए बनाया गया है। इसे जियो स्टेशनरी ट्रांसफर ऑर्बिट से स्थापित किया गया है।
विस्तार
एलन मस्क के स्वामित्व वाली कंपनी SpaceX का रॉकेट भारत की स्पेस एजेंसी ISRO का सैटेलाइट लेकर अंतरिक्ष में गया। भारत से हज़ारों किमी दूर अमेरिका के फ्लोरिडा में इस रॉकेट को प्रक्षेपित किया गया।
SpaceX के रॉकेट ने 34 मिनट की यात्रा के बाद ISRO के उपग्रह को सुरक्षित रूप से अंतरिक्ष में पहुंचा दिया। खास बात यह है कि यह स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट की 396वीं उड़ान थी।
स्पेसएक्स इंडिया के लिए यह इस तरह का पहला प्रक्षेपण है। इसे अमेरिका के फ्लोरिडा के केप कैनावेरल से लॉन्च किया गया। सोमवार-मंगलवार की मध्य रात्रि को एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के सबसे शानदार संचार उपग्रह को लॉन्च किया गया। यह उपग्रह दूरदराज के इलाकों में ब्रॉडबैंड सेवाएं और यात्री विमानों में उड़ान के दौरान इंटरनेट सेवा प्रदान करने में मदद करता है।
इसरो की वाणिज्यिक शाखा न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन और एमडी राधाकृष्णन डी. ने कहा कि प्रक्षेपण सफल रहा। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया है कि जीसैट सही कक्षा में पहुंच गया है।
GSAT N-2 या GSAT 20 नाम के इस वाणिज्यिक उपग्रह का वजन 4700 किलोग्राम है। इसे केप कैनावेरल के स्पेस कॉम्प्लेक्स 40 से लॉन्च किया गया। लॉन्च पैड को SpaceX ने यूएस स्पेस फोर्स से लीज पर लिया है। स्पेस फोर्स का गठन 2019 में अमेरिका के अंतरिक्ष हितों की रक्षा के लिए किया गया था।
इसरो के अध्यक्ष डॉ. एस. सोमनाथ ने कहा कि वे बैंगलोर में यूआर राव सैटेलाइट स्टेशन से मिशन की निगरानी कर रहे थे। उन्होंने बताया कि सैटेलाइट अच्छी तरह काम कर रहा है और सोलर पैनल ने काम करना शुरू कर दिया है।

GSAT-N2 को जानिए
- GSAT-20 सैटेलाइट को विशेष रूप से दूरदराज के इलाकों में संचार व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए डिजाइन किया गया है। इसरो ने कहा- GSAT 20 सैटेलाइट का नाम GSAT-N2 होगा और यह अनिवार्य रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड इंटरनेट सुविधा देगा।
- इस सैटेलाइट का वजन 4700 किलोग्राम है। यह 48Gpbs की स्पीड से इंटरनेट सुविधा देगा। यह सैटेलाइट अंडमान-निकोबार आईलैंड, जम्मू-कश्मीर और लक्षद्वीप सहित दूरदराज के भारतीय क्षेत्रों में संचार सेवाएं देगा।
- कक्षा में स्थापित किए जाने के बाद, हसन में भारत के मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी, जो इसरो का ही हिस्सा है, उसने सैटेलाइट का कंट्रोल अपने हाथ में ले लिया। कुछ दिनों में यह भारत से 36 हजार किमी पहुंच जाएगा।
हैवी सैटेलाइट की लॉन्चिंग के लिए फ्रांस पर निर्भर था भारत
ऐसा पहली बार हुआ है जब ISRO ने अपने किसी मिशन को लॉन्च करने के लिए स्पेस-X के फॉल्कन-9 हेवी लिफ्ट लांचर का इस्तेमाल किया। इस लॉन्चिंग की जानकारी इसरो के कॉमर्शियल पार्टनर न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) ने जनवरी 2024 में दी थी।
दरअसल, भारत के रॉकेट्स में 4 टन से ज्यादा भारी सैटेलाइट्स को लॉन्च करने की क्षमता नहीं है। इसलिए इलॉन मस्क की स्पेस एजेंसी के साथ मिलकर काम करने का फैसला लिया गया।
इससे पहले भारत भारी सैटेलाइट को लॉन्च करने के लिए फ्रांस के नेतृत्व वाले एरियनस्पेस कंसोर्टियम पर निर्भर था।