अमीषा गोस्वामी
जोशीमठ में वर्ष 2023 की भू-धंसाव और दरारों के बाद हुए स्थिरीकरण प्रयासों में आम जनता की नाराज़गी फिर से उभर कर सामने आई है।
8 सितंबर 2025 को नगर में सीवेज और ड्रेनेज ट्रीटमेंट कार्यों की डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) का पब्लिक प्रेजेंटेशन आयोजित किया गया।
लेकिन नगर पालिका अध्यक्ष, सभासद और जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति को आमंत्रित न किए जाने पर व्यापक विरोध हुआ।
विरोध और आपत्तियाँ
स्थानीय लोगों और संघर्ष समिति के पदाधिकारी अतुल सती ने इस बैठक को जनता से दूर रखने का आरोप लगाया और इसे “अधिकारी वर्ग का पक्षपाती रवैया” बताया।
उन्होंने कहा “ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी कोई ठोस प्रगति नहीं दिख रही—यह जनता के धन की बर्बादी है।” विद्रोह के बाद जिलाधिकारी के हस्तक्षेप से एक नया पत्र जारी किया गया, लेकिन वह भी संबंधित पक्षों तक नहीं पहुंच पाया।
डीपीआर में बताई गई कारगर समस्याएं
संघर्ष समिति ने डीपीआर में अनेक गंभीर कमियाँ गिनाईं:
- पूरे नगर को कवर न करना,
- सिर्फ एक STP प्रस्तावित होना, जो मौजूदा 25,000 जनसंख्या के लिए पर्याप्त नहीं,
- सर्वेक्षण में हेड-टेल की गलत जानकारी,
- सेना और ITBP के सीवेज सिस्टम को शामिल न करना।
स्थानीय जनता की मांगें
अतुल सती ने कहा, “डीपीआर-फाइलें एक विभाग से दूसरे में घूम रही हैं, जबकि प्रभावितों का पुनर्वास और मुआवज़ा अधूरा है।” संघर्ष समिति ने जिलाधिकारी और सरकार से आग्रह किया कि:
- स्थिरीकरण और सुरक्षा कार्यों को तत्काल प्राथमिकता दी जाए,
- प्रभावितों को मुआवज़ा मिलना सुनिश्चित हो,
- और डीपीआर को व्यापक, पारदर्शी और प्रभावी बनाया जाए।
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