देवकंड़ी के साथ सुरम्य बुग्यालों की ओर रवाना हुए भेड़पालक

युगों पूर्व से चली आ रही परम्परा का निर्वहन करने सुरम्य बुग्यालों में रवाना हुए भेड़पालक

केदार घाटी के सीमान्त गांवों के भेड़पालक छ: माह सुरम्य मखमली बुग्यालों के प्रवास के लिए रवाना हो गये हैं। भेड़पालकों के गांवों से विदा होने पर ग्रामीणों ने भावुक क्षणों के साथ भेड़पालकों को विदा किया।

भेड़ पालकों के सुरम्य मखमली बुग्यालों के लिए रवाना होने पर देवकंड़ी भी भेड़पालकों के साथ रवाना हो गयी है। देवकंड़ी में भेड़पालकों के अराध्य विराजमान रहते हैं। छ: माह सुरम्य मखमली बुग्यालों में प्रवास करने के बाद भेड़पालक दीपावली के निकट गांवों को लौटते हैं।

किसी साधना से कम नहीं भेड़पालकों का छः माह प्रवास

मदमहेश्वर घाटी बुरूवा गाँव के भेड़पालक बीरेन्द्र सिंह धिरवाण ने बताया कि चैत्र में फुलारी महोत्सव के बाद घोघा विसर्जन के बाद भेड़पालकों के मन में हिमालयी क्षेत्रों के लिए रवाना होने की लालसा मन में जागृत होने लगती है तथा चैत्र मास में घोघा विसर्जन के बाद भेड़ पालकों के 6 माह बुग्यालों के प्रवास के लिए रवाना होने की परम्परा युगों पूर्व की है।

निवर्तमान प्रधान सरोज भटट् ने बताया कि केदार घाटी के सीमान्त गांवों में भेड़पालन की परम्परा युगों पूर्व की है, मगर संसाधनों के अभाव में भेड़ पालन व्यवसाय में धीरे-धीरे गिरावट देखने को मिल रही है।

मदमहेश्वर घाटी विकास मंच के पूर्व अध्यक्ष मदन भटट् का कहना है कि भेड़पालकों का छ: माह बुग्यालों का प्रवास किसी साधना से कम नहीं है क्योंकि बुग्यालों में आज भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव बना हुआ है।

भेड़पालक व प्रकृति एक-दूसरे के पूरक : सरिता देवी

पूर्व प्रधान सरिता देवी ने बताया कि भेड़पालक व प्रकृति एक-दूसरे के पूरक है तथा भेड़ों के बुग्यालों में विचरण करने से बुग्यालों की सुन्दरता बढ़ती है।

योगेन्द्र भटट् ने बताया कि भेड़पालक छ: माह बुग्यालों में प्रवास के दौरान सिद्धवा, विधवा व क्षेत्रपाल की नित पूजा-अर्चना करते है।

व्यापार संघ अध्यक्ष मनसूना अवतार राणा ने बताया कि भेड़पालक दाती व लाई त्योहार प्रमुखता से मनाते है।

नव युवक मंगल दल अध्यक्ष रघुवीर सिंह नेगी ने बताया कि यदि प्रदेश सरकार भेड़पालन व्यवसाय को बढ़ावा देने की पहल करती है तो युवाओं को भी भेड़पालन व्यवसाय में स्वरोजगार के अवसर मिल सकते हैं।

निवर्तमान प्रधान प्रेमलता पन्त ने बताया कि भेड़पालकों का गांव से बुग्यालों की ओर गमन करने का समय बड़ा भावुक होता है।

भेड़ पालक प्रेम भट्ट ने बताया कि बुग्याल प्रवास के दौरान भेड़पालकों अनेक पौराणिक व धार्मिक परम्पराओं का निर्वहन करना पड़ता है तथा बुग्यालों का प्रवास किसी साधना से कम नहीं है। उन्होंने बताया कि भेड़ पालक चैत्र मास में बुग्यालों की ओर अग्रसर होते है तथा मौसम के अनुकूल बुग्यालों की ओर अग्रसर होते हैं।

https://regionalreporter.in/supreme-court-stays-felling-of-trees-on-400-acres-of-land/
https://youtu.be/jGaRHT7bFcw?si=FvVoiJkzuFCuJzVp
लक्ष्मण सिंह नेगी
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