अनसूया प्रसाद मलासी
नेताजी के नाम से प्रसिद्ध देवेंद्र भट्ट जी ने अपने जीवन के अंतिम क्षणों में अपनी जीवन गाथा लिखने का क्रम शुरू किया। इससे पूर्व कि वे अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों और सिद्धांतों की राजनीति के पाठ का संपूर्ण सार लिखकर आने वाली पीढ़ी और सामाजिक कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन करते कि 25 वर्ष पूर्व, 17 सितंबर 1999 को उनका आकस्मिक देहावसान हो गया।
तत्कालीन टिहरी रियासत की पूर्वी भरदार पट्टी के ग्राम क्वीला थैडा़ में 12 अगस्त 1929 को उनका जन्म हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद वे भारतीय सेना में भर्ती हुए। 1953 में आसाम से विवाह के लिए घर आते समय चारबाग रेलवे स्टेशन लखनऊ में रुके थे। वहाँ पंडित दीनदयाल जी उपाध्याय की सभा चल रही थी, उसको सुना और मन में गहरा प्रभाव हो गया। वे बाद में सेना से नाम कटाकर सीधे संघ कार्यालय लुधियाना चले गये।
कुल्लू तहसील व कांगडा़ में 1962 तक संघ के प्रचारक रहे। वहीं से आईटीसी, ओटीसी प्रथम व द्वितीय वर्ष किया और तब दिल्ली प्रशिक्षण शिविर के बाद संघ की केंद्रीय समिति के निर्णयानुसार जनसंघ के संगठन मंत्री के रूप में रूप में उन्हें जिला टिहरी-उत्तरकाशी के लिए भेज दिया गया।
संगठन के लिए लगातार कार्य करने के बाद 2 अक्टूबर 1972 में स्कूल के लिए क्वीलाखाल में 15 दिवसीय आमरण अनशन किया। 1978 में मठ (तिलवाडा़) के सौड़ में निगम की फैक्ट्री तथा लोनिवि के बेलदारों की छंटनी रोकने के लिए अनशन किया। क्वीलाखाल में 32 किलोमीटर लंबी पेयजल योजना तथा पिछडे़ व उपेक्षित भरदार में स्कूल, सड़क, बिजली, पानी के लिए आंदोलन किया।
भाजपा में विभिन्न पदों पर लगातार कार्य करने के बाद संगठन में उपेक्षा व नाराजगी के कारण उन्होंने भाजपा से इस्तीफा दिया और क्षेत्रीय दल उत्तराखंड क्रांति दल की सदस्यता ग्रहण कर दी। उन्होंने अपने अन्य साथियों के साथ 10 जनवरी 1994 से जखोली विकास खंड मुख्यालय में उत्तराखंड राज्य निर्माण तथा अन्य क्षेत्रीय समस्याओं के लिए आमरणअनशन किया। अगस्त 1994 के ऐतिहासिक उत्तराखंड राज्य आंदोलन में पौड़ी तथा उसके बाद श्रीयंत्र टापू श्रीनगर तथा खैट आंदोलन में भागीदारी की और जेल यात्रा की।
रुद्रप्रयाग जिला बन जाने के बाद उन्होंने यहाँ की समस्याओं के निदान के लिए रुद्रप्रयाग में 1998 में जीवन का सबसे लंबा 70 दिवसीय उपवास किया। तब वे भरदार क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य थे। लगातार आंदोलन करते रहने के कारण उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया और 70 वर्ष की आयु में 27 सितंबर 1999 को उनका देहावसान हो गया।
विनम्र श्रद्धांजलि।
…अ. प्र. मलासी… यादों की श्रृँखला।