नेपाल में जारी राजनीतिक उथल-पुथल के बीच पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की ने शुक्रवार देर रात देश की अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली।
राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने शीतल निवास में उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस तरह कार्की नेपाल की पहली महिला कार्यकारी प्रमुख बन गई हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली की सरकार बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों के दबाव में गिर गई।
हजारों युवाओं के सड़कों पर उतरने और पुलिस की गोलीबारी के बाद हालात बेकाबू हो गए थे। आखिरकार ओली ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और संसद भंग करने का रास्ता साफ हो गया।
छह महीने में आम चुनाव
शपथ के तुरंत बाद सुशीला कार्की ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक की। इसमें 5 मार्च 2026 को आम चुनाव कराने का प्रस्ताव पारित हुआ।
राष्ट्रपति पौडेल ने संसद भंग करने के फैसले पर भी मुहर लगा दी। अब अंतरिम सरकार अगले छह महीनों तक देश को चुनावी प्रक्रिया तक संभालेगी।
सुशीला कार्की जुलाई 2016 से जून 2017 तक नेपाल की चीफ जस्टिस रहीं और वे इस पद पर पहुंचने वाली पहली महिला थीं। न्यायपालिका में उनका नाम भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े रुख और लोकतंत्र को मज़बूत करने वाले फैसलों के लिए जाना जाता है। यही वजह है कि मौजूदा राजनीतिक संकट में उन्हें एक तटस्थ और भरोसेमंद चेहरा माना गया।
भारत से भी गहरा नाता
कार्की का भारत से विशेष रिश्ता रहा है। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से राजनीति शास्त्र में मास्टर्स की पढ़ाई की थी। बाद में उन्हें वहीं नौकरी का ऑफर भी मिला, लेकिन उन्होंने नेपाल लौटकर न्यायपालिका की राह चुनी।भूमिका
नेपाल के Gen Z आंदोलन ने कार्की की नियुक्ति में अहम भूमिका निभाई। प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग संसद भंग करने की थी, जिसे नई अंतरिम सरकार ने पूरा किया। अब देखना यह होगा कि क्या कार्की की नेतृत्व क्षमता देश में स्थिरता ला पाएगी या आने वाले चुनाव फिर से राजनीतिक अस्थिरता का कारण बनेंगे।
नेपाल की इस ऐतिहासिक नियुक्ति को दुनिया भर में सराहा जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया इसे एक “ऐतिहासिक कदम” और दक्षिण एशिया में महिला नेतृत्व की दिशा में मील का पत्थर बता रहा है।












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