21 नवंबर को उखीमठ पहुंचेगी डोली
द्वितीय केदार के रूप में पूजित श्री मदमहेश्वर मंदिर के कपाट मंगलवार सुबह शीतकाल के लिए विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए।
मार्गशीर्ष कृष्ण चतुर्दशी और स्वाति नक्षत्र के शुभ संयोग में सम्पन्न हुई इस प्रक्रिया में साढ़े तीन सौ से अधिक श्रद्धालु, बीकेटीसी के अधिकारी-कर्मचारी, वन विभाग और प्रशासन के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
कपाट बंद होने से एक दिन पहले से ही मंदिर को स्थानीय फूलों से सजाया गया था।
ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर खुलने के बाद श्रद्धालुओं ने पूजन-दर्शन किए। इसके पश्चात प्रातः सात बजे से कपाट बंद होने की परंपरागत प्रक्रिया शुरू हुई।
कपाट बंद होने के पश्चात श्री मदमहेश्वर की चल विग्रह डोली ने अपने भंडार का निरीक्षण किया और मंदिर की परिक्रमा के बाद ढोल-दमाऊँ की ध्वनियों के साथ पहले पड़ाव गौंडार के लिए प्रस्थान किया।

बीकेटीसी अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी, उपाध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती और विजय कप्रवाण ने श्रद्धालुओं को संदेश भेजते हुए कहा कि शीतकाल में निर्धारित गद्दीस्थलों पर दर्शन करने का पुण्य प्राप्त करें।
इस वर्ष 22 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने द्वितीय केदार मदमहेश्वर धाम में दर्शन किए। कपाट बंद होने के बाद डोली रात्रि प्रवास हेतु गौंडार पहुंचेगी।।
बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ के अनुसार चल विग्रह डोली 19 नवंबर को रांसी स्थित राकेश्वरी मंदिर में, 20 नवंबर को गिरिया में प्रवास करेगी और 21 नवंबर को अपने शीतकालीन गद्दीस्थल उखीमठ स्थित श्री ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचेगी।
उखीमठ में डोली के स्वागत के लिए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।
इस मौके पर वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्वाण, मन्दिर समिति सदस्य प्रह्लाद पुष्वाण, पूर्व सदस्य शिव सिंह रावत, पूर्व प्रधान बीर सिंह पंवार, डोली प्रभारी विपिन पटवाल, दिवारा यात्रा प्रभारी दीपक पंवार, वन पंचायत सरपंच पते सिंह पंवार, पारेश्वरी त्रिवेदी, ललित त्रिवेदी, शिवानन्द पंवार, भगत सिंह पंवार, बलवीर सिंह पंवार, मदन सिंह पंवार, बृजमोहन पंवार, दिनेश पंवार सहित गौण्डार, रासी व उनियाणा के हक- हकूकधारी, जनप्रतिनिधि, मन्दिर समिति, वन विभाग के अधिकारी, कर्मचारी व ग्रामीण मौजूद थे ।














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