आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इस महानायक ने अपने अदम्य साहस और कुशल नेतृत्व से स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा दी।
नेताजी का जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक (ओडिशा) में हुआ था। उन्होंने आईसीएस (इंडियन सिविल सर्विस) परीक्षा पास करने के बावजूद देश की सेवा को प्राथमिकता दी और ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष को अपना लक्ष्य बनाया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होकर उन्होंने युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ने का काम किया।
नेताजी की रहस्यमयी मृत्यु आज भी चर्चा का विषय बनी हुई है, लेकिन उनकी सोच और योगदान ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई ऊंचाई दी।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनकी अद्भुत देशभक्ति, साहस, और स्वतंत्रता संग्राम में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए याद किया जाता है।
वे अपने जीवन और विचारों से न केवल स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख नेता बने, बल्कि लाखों भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी। उन्हें निम्नलिखित कारणों से विशेष रूप से याद किया जाता है:
- आजाद हिंद फौज का गठन: नेताजी ने आजाद हिंद फौज (इंडियन नेशनल आर्मी) का गठन किया, जिसने सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से ब्रिटिश शासन को चुनौती दी।
- “जय हिंद” और प्रेरणादायक नारे: उनका नारा “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” आज भी हर भारतीय के हृदय में जोश भर देता है।
- स्वराज और आत्मनिर्भरता का सपना: नेताजी ने पूर्ण स्वराज (पूर्ण स्वतंत्रता) का सपना देखा और इसके लिए अपने जीवन का बलिदान कर दिया।
- युवाओं को प्रेरित करना: नेताजी ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और क्रांतिकारी सोच से युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ा।
- राष्ट्र के प्रति समर्पण: उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया, यहां तक कि अपने परिवार और आरामदायक जीवन को भी।
नेताजी की रणनीतियां और विचार आज भी प्रासंगिक हैं। उनकी याद हर भारतीय के दिल में एक सच्चे देशभक्त और बलिदानी नायक के रूप में हमेशा जीवित रहेगी।
क्यों मनाते हैं पराक्रम दिवस?
नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नायकों में से एक थे। नेताजी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अपने साहस और बलिदान से अंग्रेजों के खिलाफ डटकर संघर्ष का नेतृत्व किया। उनके नेतृत्व और आज़ादी के प्रति असीम समर्पण ने लाखों भारतीयों को प्रेरित किया।
वर्ष 2021 में भारत सरकार ने नेताजी के जन्मदिन को “पराक्रम दिवस” के रूप में घोषित किया ताकि युवाओं को उनकी साहसिक और देशभक्तिपूर्ण विचारधारा से प्रेरित किया जा सके। नेताजी का यह दृढ़ विश्वास था कि स्वतंत्रता केवल संघर्ष और बलिदान से प्राप्त की जा सकती है।