रीजनल रिपोर्टर

सरोकारों से साक्षात्कार

नाड़ी चिकित्सा से जटिल रोगों का उपचार संभव

डॉ. सुशील उपाध्याय

राष्ट्रीय संगोष्ठी में वैकल्पिक चिकित्सा पर विशेषज्ञों का मंथन

उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में प्राकृतिक एवं वैकल्पिक चिकित्सा विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई।

आयोजन योग विज्ञान विभाग और केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के योग अध्ययन केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में हुआ।

कार्यक्रम में देशभर से 250 से अधिक प्रतिभागियों ने सहभागिता की।

संगोष्ठी के साथ चिकित्सा कार्यशाला का भी आयोजन किया गया।

वैकल्पिक चिकित्सा रहा संगोष्ठी का मुख्य विषय

संगोष्ठी का मुख्य फोकस प्राकृतिक और वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों पर केंद्रित रहा। प्रतिभागियों को विधिवत प्रशिक्षण प्रदान किया गया।

शोधार्थियों द्वारा विभिन्न विषयों पर शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य संरक्षण के विविध आयामों पर विचार रखे।

प्राकृतिक चिकित्सा को बताया स्थाई समाधान

विशेषज्ञों ने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा ही दीर्घकालिक स्वास्थ्य का आधार है। आधुनिक जीवनशैली रोगों के समाधान के लिए समग्र दृष्टिकोण आवश्यक बताया गया।

योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा के समन्वय पर बल दिया गया।

सभी वक्ताओं ने इसे सुरक्षित और प्रभावी उपचार पद्धति बताया।

प्रो. लक्ष्मीनारायण जोशी का संबोधन

स्वागत उद्बोधन में आयोजन सचिव प्रो. लक्ष्मीनारायण जोशी ने विषय की रूपरेखा रखी।

उन्होंने प्राकृतिक, योगिक और आयुर्वेदिक चिकित्सा के समन्वय की आवश्यकता बताई।

प्रो. जोशी ने नाड़ी विज्ञान पर विस्तार से प्रकाश डाला।

उन्होंने नाड़ी चिकित्सा से जटिल रोगों के स्थाई उपचार की बात कही।

नाड़ी चिकित्सा का व्यावहारिक प्रदर्शन

प्रो. जोशी ने नाड़ी चिकित्सा के माध्यम से प्रतिभागियों का उपचार भी किया।

प्रतिभागियों को नाड़ी परीक्षण की विधि समझाई गई।

चिकित्सा के व्यावहारिक पक्ष को विशेष रूप से प्रस्तुत किया गया।

प्रतिभागियों ने इसे अत्यंत उपयोगी अनुभव बताया।

मुख्य अतिथि प्रो. ईश्वर भारद्वाज का वक्तव्य

मुख्य अतिथि प्रो. ईश्वर भारद्वाज ने वैकल्पिक चिकित्सा को प्राचीन जीवनशैली का हिस्सा बताया।

उन्होंने कहा कि आज इसे वैश्विक मान्यता मिल रही है। तनाव, प्रदूषण और अनियमित दिनचर्या को गंभीर स्वास्थ्य चुनौती बताया।

योग और प्राकृतिक चिकित्सा को आशा की किरण कहा।

शोध को बढ़ावा देने की अपील

प्रो. भारद्वाज ने विश्वविद्यालयों से शोध को प्रोत्साहित करने का आह्वान किया।

उन्होंने राष्ट्रीय स्तर की शोध परियोजनाएं शुरू करने पर जोर दिया।

वैकल्पिक चिकित्सा को अकादमिक समर्थन आवश्यक बताया। इससे समाज को प्रत्यक्ष लाभ मिलने की बात कही।

डॉ. कामाख्या कुमार का विशिष्ट अतिथि संबोधन

डॉ. कामाख्या कुमार ने प्राकृतिक चिकित्सा की सहजता और सुलभता पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि यह ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अत्यंत उपयोगी है। महंगे उपचारों तक सीमित पहुंच वाले लोगों को इससे लाभ मिल सकता है।

पाठ्यक्रमों में व्यावहारिक प्रशिक्षण बढ़ाने पर जोर दिया।

औषधि-मुक्त स्वास्थ्य देखभाल पर जोर

सारस्वत अतिथि प्रो. सुरेंद्र कुमार त्यागी ने प्राकृतिक चिकित्सा की भूमिका बताई।

उन्होंने इसे दीर्घकालिक स्वास्थ्य संतुलन का माध्यम कहा।

वैश्विक स्तर पर औषधि-मुक्त उपचार पर बढ़ते कार्य का उल्लेख किया। योग और प्राकृतिक चिकित्सा को प्रमुख घटक बताया।

शोधार्थियों को मिला मार्गदर्शन

आयोजक सह सचिव डॉ. चर्चित कुमार ने शोध संभावनाओं पर प्रकाश डाला।

मधुमेह, उच्च रक्तचाप और मानसिक तनाव पर शोध की आवश्यकता बताई।

नींद विकार और मोटापे को भी महत्वपूर्ण विषय बताया गया। शोधार्थियों को इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

व्यावहारिक सत्रों में हुआ प्रदर्शन

संगोष्ठी के विभिन्न सत्रों में व्यावहारिक प्रदर्शन कराया गया।

मड थेरेपी, जल चिकित्सा और सूर्य चिकित्सा समझाई गई।

योगासन और प्राणायाम की वैज्ञानिक विधियां प्रस्तुत की गईं। प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से अभ्यास किया।

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के अनेक प्राध्यापक और अधिकारी उपस्थित रहे। शोध छात्र, योग प्रशिक्षक और विभिन्न संस्थानों के प्रतिनिधि शामिल हुए।

विद्यार्थियों ने कार्यक्रम में विशेष रुचि दिखाई। कार्यक्रम को ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक बताया गया।

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