लोकचित्रों को पहचान अवश्य मिलनी चाहिए – कुमुद सिंह
भूपेंद्र कुमार अस्थाना
उत्तर प्रदेश की लोकचित्रकला में कोहबर कला पर फ्लोरेसेंस आर्ट गैलेरी तथा लखनऊ पब्लिक स्कूल के संयुक्त तत्वावधान में पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
बाराबंकी में आयोजित इस कार्यशाला में वरिष्ठ चित्रकार कुमुद सिंह ने कहा कि लोककलाएं आदिम संस्कृति की निरंतरता का प्रमाण और प्रासंगिकता का नया नारा हैं। इसलिए लोकचित्रों को पहचान अवश्य मिलनी चाहिए।

इस मौके पर मुख्य अतिथि वरिष्ठ चित्रकार कुमुद सिंह ने कहा कि लोक कलाएं जीवन को बाहर से नहीं देखती, बल्कि जीवन से ओतप्रोत होती हैं। आज जब जीवन से कलाओं की एकात्मकता और जुड़ाव लुप्त होता जा रहा है, तब आज के तथाकथित प्रासंगिकता के पैमाने पर लोककलाएं पूरी तरह फिट हैं।
उन्होंने कहा कि लोक संस्कृति के प्रति एक और दृष्टि चिंता का विषय है कि प्रायः केवल नृत्य संगीत को ही लोक संस्कृति का अंग माना जा रहा है, जबकि इसके अन्य रूपों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

कहा कि प्रदेश के लोकचित्रों को विशेष महत्व देने की जरूरत है। कोहबर, चौक पूरना, पीड़िया, गोदन पूजा आदि प्रदेश की लोक कलाएं हैं, जिन्हें उनके प्रतीकों के माध्यम से ही समझा जा सकता है। उन प्रतीकों को समझने के लिए उन कलाओं के नज़दीक जाना जरूरी है। हमारी लोक कलाओं में सांस्कृतिक चेतना का रस मिलता है। उन्होंने कार्यशाला में शामिल प्रतिभागियों को कला के विभिन्न पक्षों के बारे में विस्तार से बताया।

इस मौके पर प्रधानाचार्य डॉ.ऋतु सिंह ने कहा कि नई पीढ़ी में कलात्मक संवेदनशीलता और सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने स्कूलों के शैक्षणिक ढांचे के भीतर ऐसी कार्यशालाओं के आयोजन के महत्व पर प्रकाश डाला।
गैलरी के क्यूरेटर भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने चित्रकार कुमुद सिंह के बारे में विस्तार से बताया। इस अवसर पर लखनऊ पब्लिक स्कूल बाराबंकी की प्रधानाचार्य डा.पूजा, कला विभागाध्यक्ष व क्यूरेटर राजेश कुमार ने भी विचार रखे।
कला और कलाकारों को मिला रचनात्मक मंच
बाराबंकी स्थित लखनऊ पब्लिक स्कूल्स एंड कॉलेजेस और फ़्लोरेसेंस आर्ट गैलरी के बीच सहयोगात्मक प्रयास से उत्तर प्रदेश के लिए एक कलात्मक रूप से जागरूक और सांस्कृतिक रूप से समृ( भविष्य के निर्माण की साझा प्रतिब(ता को यह आयोजन दर्शाता है। पेशेवर कलाकारों, शिक्षकों और छात्रों को एक साझा रचनात्मक मंच पर लाकर, यह पहल न केवल परंपरा का संरक्षण कर रही है, बल्कि प्रतिभा को भी पोषित कर रही है।
कला के क्षेत्र में एक बेहतर कल के लिए तैयार करना है – नेहा सिंह
फ्लोरेसेंस आर्ट गैलरी की निदेशक नेहा सिंह ने कहा कि कल के कलाकार आज हमारी कक्षाओं में बैठे हैं। यह हमारा कर्तव्य है कि हम उन्हें विरासत में निहित उपकरण और कल्पना से प्रेरित पंख प्रदान करें। जैसे-जैसे ब्रश कागज़ पर चलते हैं और रूपांकन जीवंत होते हैं, छात्र न केवल कला सीख रहे हैं – वे विरासत का अनुभव भी कर रहे हैं, एक-एक स्ट्रोक।
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