उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के बुंगाछीना गांव के कर्नल रजनीश जोशी ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। मात्र 44 साल की उम्र में उन्हें देश के प्रतिष्ठित हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान (एचएमआई), दार्जिलिंग में प्राचार्य के पद पर बैठने का मौका मिला है।
बुधवार को कर्नल जोशी ने विधिवत रूप से पदभार ग्रहण कर लिया। वह उत्तराखंड के दूसरे अधिकारी हैं, जिन्हें इस प्रतिष्ठित संस्थान के नेतृत्व का मौका मिला है।
कर्नल रजनीश जोशी पर्वतारोहण और स्कीइंग के क्षेत्र में गहरा अनुभव रखते हैं। उन्होंने 30 से अधिक पर्वत चोटियों पर चढ़ाई की और नेपाल व फ्रांस में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त कर एक अनूठी पहचान बनाई है।
साहसिक खेलों में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें देश के प्रतिष्ठित मंचों पर सम्मानित किया जा चुका है। पर्वतारोहण में उनका नाम एशिया और इंडिया बुक ऑफ रिकॉड्स में दर्ज है। अगले साल अगस्त में कर्नल जोशी एनसीसी के बच्चों के ग्रुप को लेकर एवरेस्ट फतह के अभियान पर जाएंगे।
अपनी नियुक्ति पर कर्नल रजनीश जोशी ने कहा कि, हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान जैसे विश्वविख्यात संस्थान का नेतृत्व करना उनके लिए गर्व का विषय है।
यह संस्थान पर्वतारोहण और साहसिक खेलों को बढ़ावा देने का केंद्र रहा है और वह इस गौरवशाली परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

हिमालय पर्वतारोहण संस्थान की स्थापना 4 नवंबर,1954 में भारत में पर्वतारोहण को क्रीड़ा के रूप में बढ़ावा देने हेतु की गई थी।
यह तेनसिंह नोर्के और एडमंड हिलेरी क्ली 1983 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई के उत्साह का परिणाम था। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के प्रयास से इसे दार्जीलिंग क्षेत्र में लगभग 2100 मीटर (6900 फीट) की ऊँचाई पर बनाया गया। तेनज़िंग नोर्के इसके प्रथम अध्यक्ष बने।