टाइम मैगजीन ने पूर्णिमा देवी बर्मन को साल 2025 के ‘वुमन ऑफ द ईयर’ की लिस्ट में शामिल किया है। उन्होंने ग्रेटर एडजुटेंट स्टॉर्क पक्षी के संरक्षण के लिए लगभग 20 हजार महिलाओं की एक टीम तैयार की है।
विस्तार
पूर्णिमा अपनी प्रोफाइल में बताती है कि, साल 2007 में असम के कामरूप जिले का दादरा गांव में उन्हें एक फोन कॉल आया।उनसे बताया गया कि गांव में एक जगह एक पेड़ को काटा जा रहा है।
उन्होंने देखा कि एक चिड़िया का घोंसला जमीन पर पड़ा है। घोंसला एक ‘ग्रेटर एडजुटेंट स्टॉर्क’ (गरुड़) चिड़िया के बच्चे का था। जो भविष्य में विलुप्त होने की कगार पर हैं। पूर्णिमा ने आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने पूछा कि ऐसा क्यों किया जा रहा है।
पेड़ काटने वाले ने उनसे बताया कि ये पक्षी एक अपशकुन है। ये एक कीट है और बीमारियां फैलाता है। पूर्णिमा ने इन बयानों का कड़ा विरोध किया। इसके कारण उनको अपने पड़ोसियों की नाराजगी झेलनी पड़ी। सभी ने उनको घेर कर प्रतिरोध किया।
कूड़े के ढेर के पास रहने की प्रवृति के कारण इस चिड़िया को हर्गिला या हड्डी निगलने वाला कहा जाता है। पूर्णिमा उस वक्त अपनी दो नवजात जुड़वां बेटियों के बारे में सोच रही थीं।
उनकी बेटियों की ही तरह चिड़ियां के बच्चे भी छोटे थे। बर्मन कहती हैं कि वो पहली बार था जब उन्हें महसूस हुआ कि प्रकृति उनको पुकार रही है। उस दिन से उन्होंने अपना मिशन शुरू कर दिया। मिशन था इस चिड़िया को बचाने का।
उन्होंने अपने पीएचडी रिसर्च को टाल दिया और इसे 2019 में पूरा किया। 2007 से शुरू हुआ कारवां अब तक चल रहा है। इस क्षेत्र में उन्होंने कई महत्वपूर्ण काम किए।
20 फरवरी को अमेरिका की प्रतिष्ठित मैगजीन ‘टाइम’ ने उनको साल 2025 के ‘वुमन ऑफ द ईयर’ की लिस्ट में शामिल किया।
पूर्णिमा इस लिस्ट में एकमात्र भारतीय महिला हैं। मैगजीन इस लिस्ट में दुनियाभर की प्रभावशाली महिलाओं को शामिल करता है। इस बार इस लिस्ट में कुल 13 महिलाएं हैं।