अग्रज व्यक्तित्वों के जीवन संघर्ष: उपलब्धियों की सुन्दर काव्यात्मक अभिव्यक्ति: डॉ. अरुण कुकसाल

वर्तमान समय और समाज की एक विड़म्बना यह है कि, तमाम आधुनिक सुविधाओं और तकनीकी की सर्व-सुलभता के होते हुए, हम युवा पीढ़ी को अपने सामाजिक गौरवशाली अतीत से नहीं जोड़ पा रहे हैं।

आज़ का युवा मन-मस्तिष्क अपने सामाजिक अतीत के प्रति उदासीन, वर्तमान के प्रति शंकित और भविष्य के प्रति भयभीत सा है। परिणामतया, उसके अंतःमन में अपने परिवेश और समाज के प्रति तटस्थता का भाव पनपने लगा है।

गम्भीर बात यह है कि, यह तटस्थता सामाजिक अलगाव में परिणित हो रही है। अतः नितांत जरूरी है कि आज़ के बच्चे और युवा अपने समाज और उसके अग्रज व्यक्तित्वों के जीवनीय संघर्ष और उपलब्धियों को जाने-समझे।

वे प्रफुल्लित हों कि उनका समाज उत्कृष्ट सामाजिक दायित्वशीलता को निभाने वाले अनेकों व्यक्तित्वों से सम्पन्न एवं समृद्ध रहा है। वे उनसे जीवनीय प्रेरणा लेकर उसे अपने जीवन में आत्मसात करें और वर्तमान समाज में एक जिम्मेदार नागरिक की भूमिका में अपने को विकसित करें।

प्रथम कविता संग्रह ‘उत्तराखण्ड के गौरव’ 2021 में प्रकाशित

अनिता उनियाल नौडियाल विगत 25 वर्षों से अध्यापन से जुड़ी हैं। साथ ही, कविता लेखन में उनकी गहरी अभिरुचि है। एक सुयोग्य शिक्षक और प्रखर कवि के रूप में वे बच्चों के मनोभावों और मनःस्थितियों को बखूबी जानती और समझती हैं। उनके अध्यापन और कविताओं में यह बखूबी उद्घाटित हुआ है।

अनिता उनियाल नौडियाल का प्रथम कविता संग्रह ‘उत्तराखण्ड के गौरव’ वर्ष- 2021 में प्रकाशित हुआ। इस चर्चित कविता संग्रह में उत्तराखण्ड की 21 विभूतियों पर केन्द्रित कविताएँ हैं।

इसमें प्रमुखतया, मोला राम, बद्रीदत्त पाण्डे, चन्द्रसिंह गढ़वाली, श्रीदेव सुमन, नागेन्द्र सकलानी, गौरा देवी, इन्द्रमणि बडोनी आदि पर सुन्दर काव्यात्मक प्रस्तुतीकरण उन्होने किया है।

इसी क्रम में, अनिता उनियाल नौडियाल का नवीन कविता संग्रह ‘भारत माँ के अनमोल रत्न’ ट्रांसमीडिया पब्लिकेशन, श्रीनगर (गढ़वाल) से हाल में प्रकाशित हुआ है।

नवीन कविता संग्रह ‘भारत माँ के अनमोल रत्न’ में अनीता ने भारत देश में विभिन्न कालखण्डों, समाजों और प्रान्तों में जन्में और पढ़े-बढ़े 34 अनमोल विभूतियों को अपनी कविताओं के माध्यम से श्रृद्धासुमन अर्पित किए हैं।

इनमें, सावित्री बाई फुले, राजा राम मोहन राय, स्वामी विवेकानन्द, सरदार पटेल, खुदीराम बोस, भीमराव अंबेडकर, सुभाष चन्द्र बोस, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्लाह खाँ, लाल बहादुर शास्त्री, लाला लाजपत राय, चन्द्रशेखर आजाद, भगत सिंह, ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, सुचेता कृपलानी, केसरी चन्द, राजगुरु और अमर शहीद सुखदेव की जीवन और गौरव गाथा विशेष उल्लेखनीय है।

भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले से कविता पुस्तक का शुभारम्भ करके अपनी कर्तव्य परायण जन्मदात्री माँ शान्ति देवी के प्रति अनीता के मनोभावों ने मुझे द्रवित और गर्वित किया है। इस कविता संग्रह में शामिल सभी कविताएँ अपने कविता के दायरे से बाहर आकर गीतों में तब्दील हुई हैं। निःसंदेह, इससे इन कविताओं का प्रवाह और प्रभाव गहन और व्यापक हुआ है।

अनीता उनियाल नौडियाल के प्रथम काव्य संग्रह ‘उत्तराखण्ड के गौरव’ की तरह ही ‘भारत माँ के अनमोल रत्न’ एक चर्चित कविता संग्रह के रूप में हिन्दी साहित्य जगत के पाठकों में लोकप्रिय होगा, ऐसा विश्वास है।

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