गीता और नाट्यशास्त्र की पांडुलिपियां यूनेस्को विरासत सूची में शामिल

भारत की दो महान सांस्कृतिक कृतियों— श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र की पांडुलिपियों को यूनेस्को ने अपनी ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर’ में शामिल कर लिया है।

यह उपलब्धि भगवद् गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र की पांडुलिपियां उन 74 नए दस्तावेजी विरासत संग्रहों का हिस्सा हैं जिन्हें यूनेस्को के ‘विश्व स्मृति रजिस्टर’ यानि ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर’ में शामिल किया गया है।

यह निर्णय 17 अप्रैल 2025 को लिया गया और इसे भारत की बौद्धिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि माना जा रहा है।

क्या है ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर’

यह यूनेस्को का एक विशेष कार्यक्रम है, जिसकी शुरुआत 1992 में हुई थी। इसका उद्देश्य विश्व की ऐसी महत्वपूर्ण दस्तावेज़ी धरोहरों की पहचान, संरक्षण और प्रसार करना है जो मानव सभ्यता के इतिहास और विकास में महत्वपूर्ण रही हैं।

श्रीमद्भगवद्गीता: यह ग्रंथ महाभारत का एक प्रमुख हिस्सा है, जिसमें 700 श्लोक और 18 अध्याय हैं। यह ग्रंथ जीवन, धर्म, कर्तव्य और भक्ति की गहन व्याख्या करता है और भारतीय दर्शन की अनेक धाराओं — वैदिक, बौद्ध, जैन आदि — को जोड़ता है।

नाट्यशास्त्र: भरत मुनि द्वारा रचित यह ग्रंथ प्राचीन भारत की प्रदर्शन कलाओं का गहन अध्ययन प्रस्तुत करता है। इसमें नाट्य, अभिनय, रस, भाव, संगीत, नृत्य और सौंदर्यशास्त्र से संबंधित विस्तृत नियम हैं। यह ग्रंथ भारतीय रंगमंच और कला का आधार स्तंभ माना जाता है।

अब तक भारत की कुल 14 धरोहरें इस सूची में

इन नई प्रविष्टियों के साथ, भारत की कुल 14 दस्तावेज़ी धरोहरें ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर’ में शामिल हो चुकी हैं। इनमें ऋग्वेद, गिलगित पांडुलिपियां, तमिल चिकित्सा ग्रंथ, मुगलकालीन दस्तावेज़ और तुलसीदास रचित रामचरितमानस की पांडुलिपि शामिल हैं।

यूनेस्को की विभिन्न विरासत सूचियों में भारत की कुल मिलाकर 54 धरोहरें (as of 2024) शामिल हैं, जो तीन प्रमुख श्रेणियों में बंटी हुई हैं:

1- विश्व धरोहर स्थल (World Heritage Sites) – 42 स्थल

  • संस्कृतिक धरोहरें (Cultural Sites): 34
  • प्राकृतिक धरोहरें (Natural Sites): 7
  • मिश्रित धरोहरें (Mixed Site): 1 (कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान)

2- इंटैन्जिबल कल्चरल हेरिटेज (Amūkta Sanskr̥tik Virāsat) – 14 परंपराएँ

यह सूची उन परंपराओं, कलाओं, नृत्यों और सांस्कृतिक प्रथाओं की है जो अमूर्त होती हैं (जैसे: योग, कुंभ मेला, रामलीला, नवरोज़, छऊ नृत्य आदि)।

3- मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर : 14 दस्तावेजी धरोहरें इनमें शामिल हैं:

  • श्रीमद्भगवद्गीता की पांडुलिपियाँ
  • नाट्यशास्त्र
  • ऋग्वेद की पांडुलिपियाँ
  • रामचरितमानस
  • गिलगित पांडुलिपियाँ
  • मुगल दस्तावेज़
  • तमिल चिकित्सा ग्रंथ आदि

कुल मिलाकर: 42 (स्थल) + 14 (अमूर्त परंपराएँ) + 14 (दस्तावेज़ी विरासत) = 70 धरोहरें

https://youtu.be/jGaRHT7bFcw?si=kMMvwHzET0leEV2l
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