25 जून, 2025 को भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला स्पेसएक्स के फाल्कन‑9 रॉकेट में सवार होकर अमेरिका के केनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरे। यह मिशन Axiom‑4 के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) की ओर जा रहा है।
शुभांशु इस समय स्पेसएक्स के ‘ड्रैगन’ कैप्सूल में सवार हैं, जिसे “Grace” नाम दिया गया है। वह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की ओर यात्रा कर रहे हैं और आज, 26 जून 2025 की शाम को भारतीय समयानुसार 4:30 बजे उनकी टीम की ISS पर डॉकिंग होनी है। इस प्रक्रिया के बाद वह अंतरिक्ष स्टेशन के अंदर दाखिल होंगे और मिशन की वैज्ञानिक गतिविधियों की शुरुआत करेंगे।
शुभांशु का यह मिशन करीब 14 दिन का होगा, जिसमें वह अंतरराष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिक प्रयोगों में भाग लेंगे। इन प्रयोगों में भारत द्वारा भेजे गए सात महत्वपूर्ण अनुसंधान शामिल हैं, जो गगनयान मिशन की नींव तैयार करने में उपयोगी होंगे।
शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा उनके जीवन के संघर्ष और समर्पण की कहानी भी है। लखनऊ के अलीगंज स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल से वर्ष 2001 में इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह 2003 में NDA (नेशनल डिफेंस एकेडमी) में चुने गए।
प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने विमानन में विशेष दक्षता हासिल की और 17 जून 2006 को भारतीय वायुसेना के फाइटर पायलट बने। 2019 में उन्हें विंग कमांडर की रैंक दी गई और इसी वर्ष इसरो द्वारा देश के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान के लिए चुना गया।
उन्होंने 2019 से 2021 के बीच रूस के यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में कठोर प्रशिक्षण प्राप्त किया, जिसमें स्पेस सिम्युलेटर, सूट ट्रेनिंग, स्पेस वॉक प्रैक्टिस और माइक्रोग्रैविटी में जीवन के अनुभव शामिल रहे।
आज शाम जब शुभांशु और उनकी टीम अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़ेंगे, तब न केवल वैज्ञानिक इतिहास रचा जाएगा, बल्कि यह मिशन भारत के भविष्य के चंद्र और अंतरिक्ष अभियानों की नींव और भी सशक्त करेगा।
“हर पल आनंद ले रहा हूं”: शुभांशु
लॉन्च के 24 घंटे बाद शुभांशु ने भावुक शब्दों में अपना अनुभव साझा किया: “मैं अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ बेहद खुश और रोमांचित हूं… मैं हर पल का आनंद ले रहा हूं… शून्य गुरुत्वाकर्षण की आदत डालना बिल्कुल वैसा है जैसे कोई बच्चा चलना सीख रहा हो।”
इसके अलावा उन्होंने अपना पहला वीडियो कॉल करते हुए रॉकेट के लॉन्च के क्षण को अवर्णनीय बताया ।
गगनयान की तैयारी में वैज्ञानिक मील का पत्थर
ISRO द्वारा चुने गए 7 विज्ञान प्रयोग, जिन्हें शुभांशु ISS पर करेंगे, जो गगनयान मिशन को मजबूत बनाने में मदद करेंगे:
- Microalgae Radiation Impact (ICGEB & NIPGR): ISS पर माइक्रोग्रैविटी व रेडिएशन का एडिबल माइक्रोएल्गी पर प्रभाव जांचा जाएगा ।
- Salad Seed Sprouting (UAS, Dharwad): मुठ और मेथी के बीज की खिला व पोषण क्षमता का अध्ययन होगा ।
- Tardigrade Survival (IISc): सूक्ष्म जीव ‘वॉटर-बियर’ कुल्ल इंसानों जैसे चरम हालतें में कैसे जीवित रहते हैं, इसकी जांच होगी ।
- Muscle Regeneration (InStem): मेटाबॉलिक सप्लीमेंट्स के सहारे माइक्रोग्रैविटी में पेशीय पुनरुत्पादन देखा जाएगा ।
- Human‑Display Interaction (IISc): अंतरिक्ष में कंप्यूटर स्क्रीन के उपयोग से मानव मस्तिष्क, आंखों व तनाव पर होने वाले प्रभाव का अध्ययन ।
- Cyanobacteria Growth (ICGEB): ISS पर युरिया और नाइट्रेट पर आधारित सायनोबैक्टेरिया की वृद्धि एवं प्रोटीओमिक्स का विश्लेषण होगा ।
- Food Crop Seed Growth (IIST & Kerala Agricultural University): बीजों की वृद्धि व उपज में माइक्रोग्रैविटी का प्रभाव देखा जाएगा ।
इन प्रयोगों से न केवल अंतरिक्ष में पोषण और स्वास्थ्य सुधार पर जानकारी मिलेगी, बल्कि यह गगनयान जैसे मिशनों के लिए भोजन व जैवसस्टेनेबल सपोर्ट प्रणाली के विकास में महत्वपूर्ण करेंगे ।
उनकी इस सफलता पर देशभर में गर्व का माहौल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित देश के कई नेताओं ने उन्हें बधाई दी है। शुभांशु की यह उड़ान सिर्फ एक वैज्ञानिक मिशन नहीं, बल्कि नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा और भारत की वैश्विक अंतरिक्ष क्षमताओं की गूंज है।
