उत्तराखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: पंचायत चुनाव पर से हटाया स्टे

  • चुनाव आयोग को जारी करने होंगे नए कार्यक्रम
  • चुनावी प्रक्रिया को मिली हरी झंडी

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर लगाए गए स्टे को 23 जून को वापस ले लिया है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने यह स्पष्ट किया कि चुनाव अब सामान्य प्रक्रिया के तहत 25 जून से आगे बढ़ाए जा सकते हैं।

कोर्ट ने यह निर्देश भी दिया कि चुनाव आयोग पूर्व निर्धारित कार्यक्रम से तीन दिन आगे का नया शेड्यूल जारी करे।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से ब्लॉक और जिला पंचायत स्तर पर सीटों के आरक्षण में अनियमितताओं की बात उठाई गई। विशेष रूप से देहरादून के डोईवाला ब्लॉक का उल्लेख किया गया, जहां ग्राम प्रधानों की 63 प्रतिशत सीटें आरक्षित बताई गई हैं। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि आरक्षण रोस्टर में कुछ वर्गों को लगातार प्रतिनिधित्व मिल रहा है, जो संविधान के अनुच्छेद 243 और सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के विरुद्ध है।

लगभग 40 याचिकाएं दाखिल हुईं जिन्हें मूल याचिकाओं-गणेश दत्त कांडपाल और बीरेंद्र सिंह बुटोला की याचिकाओं के साथ जोड़कर सुना गया। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता शोभित सहारिया, आदित्य सिंह, अनिल कुमार जोशी, योगेश पचौलिया, जितेंद्र चौधरी और शक्ति सिंह ने अपने-अपने तर्क प्रस्तुत किए। कोर्ट ने साफ किया कि वह सभी याचिकाओं को मेरिट के आधार पर सुनेगा।

सरकार को तीन सप्ताह में जवाब देने के निर्देश

राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता और मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने पक्ष रखते हुए बताया कि पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के बाद नया आरक्षण रोस्टर तैयार किया गया है और इसे पहले चरण के रूप में मानना आवश्यक है। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर तीन सप्ताह के भीतर जवाब प्रस्तुत करे।

हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि यदि किसी उम्मीदवार को आरक्षण या चुनावी प्रक्रिया को लेकर कोई आपत्ति है, तो वे सीधे कोर्ट में अपना पक्ष रख सकते हैं।

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