गढ़वाल विश्वविद्यालय में प्रो. मंजुला राणा की दोबारा नियुक्ति पर हाईकोर्ट का नोटिस

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रो. मंजुला राणा की दोबारा नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए उन्हें नोटिस जारी किया है। साथ ही, गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय समेत चार अन्य पक्षकारों से जवाब मांगा है। यह मामला संविधान के अनुच्छेद 319(d) के उल्लंघन से जुड़ा है।

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याचिकाकर्ता डॉ. नवीन प्रकाश नौटियाल ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि प्रो. मंजुला राणा को वर्ष 2010 में उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (UKPSC) का सदस्य नियुक्त किया गया था। उनका कार्यकाल 6 साल यानि की 2016 में पूरा हुआ।

लेकिन कार्यकाल खत्म होने के बाद उन्हें दोबारा श्रीनगर गढ़वाल विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग में नियुक्त कर दिया गया। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह संविधान के अनुच्छेद 319(d) का सीधा उल्लंघन है।

याचिकाकर्ता ने यह भी दलील दी कि इसी विश्वविद्यालय के प्रो. जेएमएस राणा भी उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के सदस्य थे, लेकिन उन्हें सेवा समाप्ति के बाद दोबारा विश्वविद्यालय में नियुक्त नहीं किया गया। ऐसे में एक ही संस्थान में दो अलग-अलग मानकों को अपनाना न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ बताया गया है।

उत्तराखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ के वरिष्ठ न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्यायने इस याचिका पर संज्ञान लिया और प्रो. मंजुला राणा को व्यक्तिगत रूप से नोटिस जारी किया। कोर्ट ने गढ़वाल विश्वविद्यालय और अन्य संबंधित पक्षों से भी लिखित जवाब तलब किया है।

संविधान का अनुच्छेद 319(घ) के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो राज्य लोक सेवा आयोग या संघ लोक सेवा आयोग का सदस्य रह चुका हो, उसे दोबारा सरकारी पद या शैक्षणिक संस्थान में नियुक्त नहीं किया जा सकता।

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https://youtu.be/sLJqKTQoUYs?si=UlNTsVxS4GwW7kVV
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