टेरिटोरियल रेंज पोस्टिंग का नया फार्मूला तैयार
उत्तराखंड वन विभाग में टेरिटोरियल रेंज से जुड़ा बड़ा बदलाव होने जा रहा है। विभाग 12 साल पुराने शासनादेश में संशोधन की तैयारी कर चुका है और अब अंतिम मंजूरी का इंतजार है।
नए फार्मूले के लागू होते ही डिप्टी रेंजरों को भी टेरिटोरियल रेंज की जिम्मेदारी मिल सकेगी।
सितंबर 2013 में शासन ने आदेश जारी किया था, जिसके तहत केवल वन क्षेत्राधिकारी (रेंजर) को ही टेरिटोरियल रेंज की जिम्मेदारी दी जाती थी। लेकिन प्रदेश में रेंजरों की कमी के चलते कई रेंज या तो खाली हैं या अतिरिक्त प्रभार पर चल रही हैं।
इस वजह से संवेदनशील इलाकों में वनाग्नि, मानव-वन्यजीव संघर्ष, अवैध कटान और अवैध खनन जैसे मामलों पर प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पा रही थी।
डिप्टी रेंजर को मिलेगी जिम्मेदारी
नए फार्मूले के मुताबिक, टेरिटोरियल रेंज की प्राथमिक जिम्मेदारी रेंजरों को ही दी जाएगी। हालांकि यदि पद खाली रह जाते हैं, तो पदोन्नति की पात्रता रखने वाले डिप्टी रेंजरों को प्रभारी रेंज अधिकारी के तौर पर नियुक्त किया जा सकेगा।
यह जिम्मेदारी केवल प्रभारी स्तर तक सीमित होगी और भविष्य में किसी सेवा लाभ का आधार नहीं बनेगी।
प्रशासनिक दृष्टि से उपयुक्त न पाए जाने वाले रेंजरों को टेरिटोरियल रेंज में तैनात नहीं किया जाएगा। ऐसे अधिकारियों को नॉन-टेरिटोरियल रेंज की जिम्मेदारी दी जाएगी।
नए ड्राफ्ट में यह भी प्रावधान किया गया है कि टेरिटोरियल क्षेत्र का अतिरिक्त प्रभार किसी भी परिस्थिति में 30 दिन से अधिक नहीं रहेगा। यदि ऐसा करना जरूरी होगा तो एक महीने के भीतर स्थायी रेंजर या प्रभारी की तैनाती की जाएगी।
अंतिम मंजूरी का इंतजार
वन विभाग का मानना है कि इस नए फार्मूले से फील्ड स्तर पर कामकाज और निगरानी व्यवस्था मजबूत होगी। प्रमुख वन संरक्षक को भरोसा है कि शासन जल्द ही इस प्रस्ताव पर अंतिम मुहर लगाएगा और खाली रेंज की समस्या काफी हद तक दूर हो जाएगी।

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