एडमिनिस्ट्रेशन ब्रांच में चयन, ऑल इंडिया रैंक 30 हासिल कर बढ़ाया उत्तराखंड का मान
उत्तराखंड के सीमांत जिले पिथौरागढ़ की बेटी ज्योत्सना रावत ने भारतीय वायु सेना में
चयनित होकर प्रदेश का नाम रोशन किया है।
ज्योत्सना का चयन भारतीय वायु सेना की एडमिनिस्ट्रेशन ब्रांच में हुआ है
और उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 30 प्राप्त की है।
यह उपलब्धि न केवल पिथौरागढ़ बल्कि पूरे उत्तराखंड के लिए गर्व का विषय है।
28 दिसंबर से हैदराबाद में शुरू होगा प्रशिक्षण
ज्योत्सना रावत का प्रशिक्षण 28 दिसंबर से एयरफोर्स अकादमी, डुंडीगल (हैदराबाद) में शुरू होगा।
उनका चयन कड़े प्रतिस्पर्धात्मक स्तर पर हुआ है, जो उनकी मेहनत और अनुशासन को दर्शाता है।
सैनिक परंपरा वाले परिवार से ताल्लुक
ज्योत्सना मूल रूप से पिथौरागढ़ जिले के बेरीनाग विकासखंड के चौसाला गांव की निवासी हैं।
उनका परिवार लंबे समय से देशसेवा की परंपरा से जुड़ा रहा है-
- दादा गोपाल सिंह – कुमाऊं रेजिमेंट
- ताऊ प्रेम सिंह – कुमाऊं रेजिमेंट
- नाना खुशाल सिंह– कुमाऊं रेजिमेंट
- पिता सुन्दर सिंह रावत– ईएमई में पूर्व सूबेदार
शिक्षा में भी शानदार रिकॉर्ड
ज्योत्सना ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा आर्मी पब्लिक स्कूल, हिसार कैंट से प्राप्त की।
इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के गार्गी कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की।
परिवार में शिक्षा की परंपरा भी मजबूत है, बड़ी बहन भावना इंफो एज में कार्यरत और छोटे भाई दीपेश— जेएनयू से एमसीए की पढ़ाई कर रहे हैं
क्षेत्र में खुशी की लहर, जनप्रतिनिधियों ने दी बधाई
ज्योत्सना की सफलता पर उनके पिता पूर्व सूबेदार सुन्दर सिंह रावत और माता मीना रावत ने खुशी जाहिर की है।
इस उपलब्धि पर क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने भी शुभकामनाएं दी हैं।
बधाई देने वालों में शामिल हैं—
विधायक फकीर राम, पूर्व विधायक मीना गंगोला, ब्लॉक प्रमुख संगीता चन्याल, ज्येष्ठ प्रमुख धीरज, सहित गांव और परिवार के अनेक सदस्यों ने बधाई दी है।
वायु सेना में महिलाओं के लिए अवसर
भारतीय वायु सेना में महिलाएं फ्लाइंग ब्रांच सहित विभिन्न शाखाओं में सेवा दे सकती हैं। इसके लिए—
- 12वीं में गणित और भौतिक विज्ञान उत्तीर्ण
- मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से न्यूनतम 60% अंकों के साथ स्नातक / BE-BTech
- आयु सीमा 20 से 24 वर्ष (CPL धारकों को 26 वर्ष तक छूट)
- न्यूनतम लंबाई 162.5 सेमी
सीमांत क्षेत्र की बेटियों के लिए प्रेरणा
ज्योत्सना रावत की यह सफलता सीमांत और पर्वतीय क्षेत्रों की बेटियों के लिए प्रेरणास्रोत है।
उनकी उपलब्धि यह साबित करती है कि मेहनत, अनुशासन और समर्पण से किसी भी ऊंचे लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
















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