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उत्तराखंड हाईकोर्ट में HNBGU के कुलपति की नियुक्ति पर सवाल

प्रो. प्रकाश सिंह की नियुक्ति को निरस्त करने की मांग, UGC व केंद्र सरकार को नोटिस

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति

के रूप में प्रोफेसर प्रकाश सिंह की नियुक्ति को निरस्त (क्वैश) करने की

मांग से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई की।

मामले की सुनवाई के बाद वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने

यूजीसी, केंद्र सरकार सहित अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए

याचिका में लगाए गए आरोपों पर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

मामले की अगली सुनवाई 10 फरवरी 2026 को निर्धारित की गई है।

क्या है पूरा मामला

यह जनहित याचिका प्रोफेसर नवीन प्रकाश नौटियाल द्वारा दायर की गई है।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि कुलपति की नियुक्ति केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के

UGC विनियम, 2018 के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए की गई है।

नियुक्ति निरस्त करने के मुख्य आधार

याचिका में नियुक्ति को मनमानी और अवैध बताते हुए कई गंभीर आधार प्रस्तुत किए गए हैं,

जिनमें प्रमुख रूप से कहा गया है कि-

  • UGC विनियम, 2018 की विनियम 7.3 के अनुसार कुलपति पद के लिए विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में न्यूनतम 10 वर्षों का अनुभव अनिवार्य है।
  • प्रोफेसर प्रकाश सिंह का भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (IIPA) में चेयर प्रोफेसर के रूप में अनुभव, विश्वविद्यालय के प्रोफेसर के समकक्ष नहीं माना जा सकता।
  • IIPA न तो विश्वविद्यालय है और न ही UGC मानकों के अंतर्गत शासित संस्था।
  • शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञापन में पात्रता को स्पष्ट रूप से “विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में 10 वर्ष” तक सीमित किया गया था, जिसमें किसी भी प्रकार की समकक्षता की कोई गुंजाइश नहीं थी।

संवैधानिक उल्लंघन का आरोप

याचिका में यह भी कहा गया है कि यह नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन करती है

और मेरिट-आधारित नियुक्तियों की पवित्रता को नुकसान पहुंचाती है।

याचिकाकर्ता का तर्क है कि सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों में स्पष्ट किया गया है

कि चयन प्रक्रिया के दौरान या बाद में किसी सार्वजनिक पद की पात्रता शर्तों में

बदलाव या शिथिलता नहीं की जा सकती।

हाईकोर्ट का रुख

हाईकोर्ट ने प्रारंभिक सुनवाई के बाद माना कि मामला गंभीर प्रकृति का है

और सभी संबंधित पक्षों का जवाब आवश्यक है।

इसी क्रम में UGC, केंद्र सरकार और अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए गए हैं।

https://regionalreporter.in/indian-railways-reservation-chart-new-rule/

https://youtu.be/BW8g93VOupE?si=TACRJ6mlX77uHBCa
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